और खिलाफत सम्बन्धी अन्याय और पंजाब के साथ हुए अन्यायके निवारणकी पूर्वपीठिका मानता हूँ।
मैं आशा करता हूँ कि प्रत्येक भारतीय, स्त्री हो या पुरुष, विदेशी वस्त्रोंका पूर्ण बहिष्कार करेगा और फुरसतके समयमें कताई या बुनाई करेगा।
मौलानाकी तरह कोशिश करके अपने धार्मिक और राष्ट्रीय अधिकारोंकी रक्षा करने के संकल्पपर डटे रहिए।
हमें कारावास यात्राके योग्य बनना चाहिए। मैं मौलानाकी निर्दोषिताको जानता हूँ और मुझे पूरा विश्वास है कि बेकसूर लोगोंके कैद किये जानेसे राष्ट्र वांछित लक्ष्यपर पहुँच सकेगा।
मौलाना पूर्ण रूपसे शान्त थे और उसी तरह बेगम साहिबा भी शान्त हैं। वे यात्रामें मेरे साथ रहेंगी और मौलाना आजाद सोबानी भी साथ रहेंगे।
गांधी
अमृतबाजार पत्रिका, १८-९-१९२१
४५. टिप्पणियाँ
हड़तालका प्रभाव
श्री कोंडा वेंकटप्पया अपने एक पत्रमें, जो मुझे अभी-अभी मिला है, हड़तालका समर्थन करते हैं। इस पत्रमें उन्होंने अन्य उपयोगी जानकारी भी दी है। पाठकोंके लाभार्थ मैं उसे यहाँ उद्धृत करता हूँ।[१]
हड़तालको आपने गलत कदम बताया है। लेकिन मुझे यह कहनेकी अनुमति दीजिए कि हड़तालके इन चन्द दिनोंमें गण्टूरमें जो जन-जागृति हुई है वह वर्षोंके परिश्रमपूर्वक किये गये प्रचारकार्य से भी नहीं हो सकती थी। इसके सिवा इस स्वल्पकालमें लोगों में संयम और आत्म-नियन्त्रणके गुणोंका भी बहुत अच्छा विकास हुआ है। ... हम लोगोंकी रिहाईका कारण यह नहीं है कि हमारे खिलाफ जो साक्ष्य था उससे भिन्न कोई ऐसे नये तथ्य प्रकाशमें आये हैं जिनसे साक्ष्यका खण्डन हो जाता है। कारण यह है कि जनमत उसके [ डिप्टी मजिस्ट्रेटके ] खिलाफ हो गया था। व्यापारियोंने अपनी दुकानें बन्द कर दी थीं; वकीलोंने अदालतोंमें जाना छोड़ दिया था और सबसे बड़ी बात तो यह थी कि लोग रोज बड़ी-बड़ी सभाएँ कर रहे थे और उनमें इस सारी कार्रवाईके खिलाफ जोरदार आवाज उठा रहे थे। सरकारी दफ्तरोंमें क्लर्क लोग अपनी जगहों से
- ↑ केवल सम्बन्धित भाग ही उद्धृत किया गया है।