पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/४४१

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१९३. भाषण: बम्बईमें स्वदेशीपर' १७ जुलाई, १९२१ महात्मा गांधीने कहा : मैं इसके पहले भी मदनपुरा आ चुका हूँ। दो साल पहले मैं यहाँ आपका काम देखने आया था। लेकिन यह सभा एक बिलकुल दूसरे ही उद्देश्यसे बुलाई गई है। पिछली बार जब मैं यहाँ आया था, तब खिलाफतके सवाल- को लेकर कोई आशंका नहीं थी और हमें अपने शासकोंसे न्याय पानेका पक्का भरोसा था; क्योंकि ग्रेट ब्रिटनके प्रधान मन्त्रीने न्याय करने का वायदा किया था। लेकिन बाव- जूद उसके ब्रिटिश सरकारने मुसलमानोंको काफी नुकसान पहुँचाया। और अब जबतक मुसलमानोंकी शिकायतें दूर नहीं हो जाती तबतक हमारे दिमागको चैन नहीं मिल सकता। सरकारने पंजाबके साथ जो-कुछ किया है, उसको लेकर भी जनता बहुत चिन्तित है। भारतीय जनता जबतक अपने सैनिकोंको ब्रिटेन की ओरसे लड़नेके लिए विदेश जाने से नहीं रोक सकती तबतक यह नहीं कहा जा सकेगा कि असली ताकत जनताके हाथोंमें आ गई है। अब हमें एक शक्तिशाली अस्त्र मिल गया है, असहयोगका अस्त्र; और कांग्रेसने बड़े निश्चित शब्दोंमें बता दिया है कि इस दिशामें जनताको क्या करना चाहिए। लेकिन अभी जनताने इस दिशामें बहुत बड़े पैमानेपर पहल नहीं की है। लोगोंने अपने खिताब वापस नहीं किये हैं और उन्होंने स्कूलों या न्यायालयों- का त्याग नहीं किया है। इस तरह लोगोंने अपना फर्ज पूरा नहीं किया है। किन्तु फिर भी सरकारको प्रतिष्ठा गिरी है। लोग अब सरकारी खिताबोंको उतनी इज्जत- की नजरसे नहीं देखते; लोग कचहरियों में तो जाते हैं पर यह समझकर नहीं कि वे अच्छी हैं या वहाँ उनको न्याय मिल जायगा, बल्कि इसलिए कि वे उनके पतनकी निशानी हैं। बुनकरोंके सामने उनका फर्ज साफ है-- उनको स्वदेशी आन्दोलनकी भरसक सहायता करनी चाहिए। अगर बुनकर इस आन्दोलनमें हाथ बंटायें तो वे देशको फिरसे खुशहाल बना सकते हैं। सबसे बड़ा दुर्भाग्य तो यह है कि बुनकर लोग विदेशी सूत इस्तेमाल करते हैं। श्री गांधीने बुनकरोंसे कहा कि आपको विदेशी सूतका इस्तेमाल छोड़ देना चाहिए, सिर्फ स्वदेशी और हाथका कता सूत ही इस्तेमाल करना चाहिए। आपको महीन सूत ही नहीं हाथका कता मोटा सूत भी इस्तेमाल करना चाहिए। और किसी भी देशके बुनकर मिलका तैयार किया हुआ सूत इस्तेमाल नहीं करते। वे हाथका कता महीन सूत इस्तेमाल करते हैं, लेकिन साथ ही मोटा सूत भी इस्ते- । १. गांधीजीने वम्बईमें भायखला कांग्रेस कमेटीके तत्वावधानमें इतवारकी रातको मदनपुरामें बुनकरोंको एक सभा में भाषण किया था । Gandhi Heritage Portal