पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३९३

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१७२. पत्र: मणिबेन पटेलको सोमवार, ११ जुलाई, १९२१ चि० मणि, तुम्हारा पत्र मिल गया। कपड़े जलानेका हेतु तो यह है कि विदेशी कपड़ोंकी तरफ और वैराग्यवृत्ति पैदा की जाये। ये कपड़े गरीबोंको दिये जायें, इस विचारमें भी मोह है। लाख दो लाखके कपड़े गरीबोंको गये तो क्या, न गये तो क्या? इतने दिनतक ये कपड़े मँगवाकर हमने हिन्दुस्तान को बड़ा नुकसान पहुँचाया है। मैं मानता हूँ कि अब ये कपड़े गरीबोंको देनेसे भी लाभ नहीं होगा। ये कपड़े विदेश भेज देने में कुछ सार अवश्य है। फिर भी मैं सबकी राय लेता रहता हूँ। उसमें से जो सबको ठीक लगेगा वह मान लेंगे। अब भी शंका हो तो पूछना । डाह्याभाईकी वानरसेना अच्छा काम कर रही दीखती है। एक बात वे याद रखें। लोगोंसे विनयपूर्वक अपनी बात कहें। घृणा या खिल्ली उड़ाने, मजाकका भाव तनिक भी न रखें। शराब पीनेवाले पर दया रखी जाये। काकासाहब' बढ़िया शिक्षक हैं, इसमें तो शक ही नहीं। तुम सबको वे पसन्द आये, इससे मैं खुश हुआ हूँ। काका विट्ठलभाईसे मुलाकात हुई है; काफी बातचीत हुई। उन्होंने अपने जिला बोर्ड में ठीक प्रस्ताव पास करवाया है। मेरे पास आने-जानेवाले लोग कहते हैं कि काकाकी अभी चरखेपर श्रद्धा नहीं है। इतना ही नहीं, मण्डलियोंमें चरखेके प्रति अरुचि प्रकट करते रहते है। फिर भी जब उनसे मिलूंगा तब फिर बात करूँगा। मुझ- पर पिछली मुलाकातका यह असर पड़ा था कि उनके मनका बहुत-कुछ समाधान हो गया है। बापूके आशीर्वाद मणिबेन द्वारा/श्री वल्लभभाई झवेरभाई पटेल भद्र, अहमदाबाद [गुजरातीसे] बापुना पत्रो: मणिबहेन पटेलने १. दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर (जन्म १८८५); १९१५ से गांधीजीके साथ हुए । Gandhi Heritage Portal