पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३४०

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३१० सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय पायें। मैं 'स्वच्छन्द' यौन सम्बन्धमें विश्वास नहीं रखता। यह विषय बहुत ज्यादा दर्दनाक है। स्त्रियों तथा पुरुषोंके यौन सम्बन्धोंकी शुद्धताको मैं बहुत ही पवित्र वस्तु मानता हूँ। और इसीलिए मैंने इन सब बागानोंमें जो-कुछ देखा व सुना है, उसके बारेमें संयमके साथ लिख पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल है। मैं यह नहीं कहता कि केवल गोरे मैनेजर ही यह हरकत करते हैं, भारतीय मैनेजर नहीं। मैं जानता हूँ कि भारतीय मैनेजरोंका अपराध छिप जाता है, क्योंकि उनसे पैदा हुए बच्चोंका रंग भार- तीयोंके रंगमें मिल जाता है। पर यह मैं अवश्य कहूँगा कि गोरे मैनेजरोंको यह अप- राध करते हुए किसी प्रकारके दण्डका भय नहीं होता, भारतीय मैनेजरोंको दण्डका भय रहता है। लेकिन मैं इस अध्यायको यहीं समाप्त करता हूँ। पत्र-लेखकने सलाह दी है कि चाय-बागानके मैनेजर पंचायतोंके अध्यक्ष हों, इस कुटिल सलाहसे चाय बागान- के मालिकोंकी पोल खुल जाती है। उक्त पत्रके लेखकने असहयोगके बारेमें जो कुछ कहा है, उससे जाहिर होता है कि उन्हें असहयोगके बारे में पूरी जानकारी नहीं है। मैं विश्वास दिलाता हूँ कि मैंने असमके किसी भी कुलीको हड़ताल करनेकी सलाह नहीं दी है। मैं वहाँके मजदूरोंकी समस्याको जाननेका भी दावा नहीं करता । इसके अलावा लेखकको यह मालूम होना चाहिए कि असहयोग पूंजी अथवा पूंजीपतियोंके खिलाफ नहीं, बल्कि इस समय जो शासन-पद्धति चालू है, उसके खिलाफ हो रहा है। लेकिन यह भी सही है कि जहाँ-कहीं बुराई होगी, अत्याचार और अन्याय होगा वहाँ कोई चाहे या न चाहे, असहयोग होगा ही। लोग एक बार असहयोगकी शक्ति जान लेनेपर उसका इस्तेमाल जरूर करेंगे। यदि वे इसका इस्तेमाल मूर्खतापूर्वक या अनुचित रूपसे करते हैं तो नुकसान उनका ही होगा। मेरे खयालसे कानून बनाने या कौन्सिलोंमें वाद-विवादसे ज्यादा फायदा नहीं हो सकता। मजदूरोंकी हालत तभी सुधर सकती है जब मालिक उनके साथ भाई-बन्धुओंकी तरह व्यवहार करने लगें, या जब मजदूरोंमें खुद इतनी समझ आ जाये कि वे अपने हकोंको जानने लगें और उन्हें हासिल करने के तरीके भी मालूम कर लें। किसी लिए जनमत तैयार किये बिना वैसा कानून बनाना बेकार ही नहीं, नुकसानदेह भी है। जनमत तैयार करनेका या मौजूदा मामले में, तरीकोंमें परिवर्तन लानेका, या मेरी शब्दावलीमें कहिए तो हृदय-परिवर्तनका सबसे जल्दी सफल होनेवाला उपाय असहयोग ही है। [अंग्रेजीसे] यंग इंडिया, २९-६-१९२१ Gandhi Heritage Porta