पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३०८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२७८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


लेकर कोई ढोंग नहीं रचा जाना चाहिए। मेरे साथी दम्भी हों तो मैं उनको भी छोड़ दूँ। आपमें से जबतक कुछ एक अच्छे व्यक्ति नहीं हो जाते तबतक आप असहयोग नहीं कर सकते। लोगों के और आपके बीच मैं एलची बना हुआ हूँ। मैं एक शुद्ध हिन्दू के रूपमें ही आपसे यह कहता हूँ। गांधी आपको [ असहयोग के लिए ] तैयार करनेके लिए जब चाहेगा तब चला आयेगा। आप शुद्ध बननेका काम करें। हमें शुद्ध बलिदान देना है। और मैं अपना काम करूँगा।

बहनो! मैं आपके हाथोंमें चरखे और करघे देखना चाहता हूँ। आपको तो सबको ढकना है। भाई शंकरलाल दाँतमें दर्द होने की वजहसे नहीं आ सके। हम आये हैं सो कोई घर जाकर नहाने के लिए नहीं। कवि दलपतराम डाह्याभाईकी[१] पौत्री जसलक्ष्मी यहाँ आई है। वह आपके लिए मददगार साबित होगी।

[ गुजरातीसे ]
गुजराती, २६-६-१९२१

१२९. गुजरात में आत्मत्याग

गुजरातने राष्ट्रके कार्यके लिए कोई बड़ा आत्मत्याग किया है, सो मैं नहीं जानता। भड़ौंच परिषद् के समय लोगोंने जिस आत्मत्यागका परिचय दिया उसे मैं गुजरातका आत्मत्याग नहीं मानता। वह तो गुजरात में किया गया त्याग है, जब गुजरातमें अनेक स्त्री-पुरुष देश-कार्यके लिए सर्वस्व अर्पण करेंगे तभी हम गुजरात के आत्मत्यागकी बात कर सकेंगे।

लेकिन जिन भाइयोंने भड़ौंच परिषद् के समय अपना सर्वस्व देनेका निश्चय किया था उन भाइयोंका आत्मत्याग गुजरातकी प्रतिज्ञाका पालन करनेमें कितना सहायक हुआ सो तो हम कभी न जान सकेंगे। लेकिन मेरे जैसे श्रद्धालु इतना तो जरूर मानेंगे कि यदि गुजरात तीस तारीखको अपनी परीक्षामें उत्तीर्ण हुआ तो उसका मुख्य कारण भड़ौंचमें किया गया आत्मत्याग होगा।

चाहे जो भी हो, अगर गुजरात इसी वर्षके अन्दर अन्दर स्वराज्य प्राप्त करना चाहता हो तो उसे सर्वस्व त्यागी कार्यकर्त्ताओं सेवकों की सख्त जरूरत है। हिन्दुस्तानमें हम चाहे किसी ओर दृष्टिपात करें, हम यही देखेंगे कि आजतक गुजरातने सब प्रान्तोंकी अपेक्षा कमसे-कम त्याग किया है। महाराष्ट्र सबसे ऊपर आता है। बंगालके त्यागको मैं सनकसे भरा मानता हूँ। बंगालियोंने सर्वस्व दे देनेसे इनकार नहीं किया है। पंजाबमें भी लोगोंने कुछ कम त्याग नहीं किया। आर्यसमाजकी रचनायें त्यागवृत्ति निहित है। सिखोंके त्यागको भी कम नहीं कहा जा सकता।

लेकिन यह बात हम गुजरात के लिए नहीं कह सकते। दो नवयुवकों के ‘भारत सेवक समाज’ में शामिल होनेपर ही गुजरात आश्चर्यचकित हो गया था। सूरतके दो

  1. दलपतराम डाह्याभाई त्रिवेदी (१८२०-१८९२); प्रसिद्ध गुजराती कवि।