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लेकर चम्पत हो गया, मगर उसकी घड़ी और पैसोंको छुआ भी नहीं। सारे जिलेके लोग जानते हैं कि यह हमला एक जाने-माने अफसरकी शह पाकर किया गया, लेकिन इस हलके में पुलिसका ऐसा आतंक है कि कोई बयान या गवाही देनेके लिए तैयार नहीं होता। सक्खर जिलेकी हालत तो और भी खराब है। कोई तीन हफ्ते पहले रेलवे स्टेशनले दस-एक मील दूर उबावरोमें सक्खर जिला कान्फ्रेंसका जलसा किया गया। हलकेके डिप्टी कलक्टरने गाड़ीवालोंको कह रखा था कि वे गांधी टोपीवालोंको अपनी गाड़ियाँ न दें। गाड़ीवालोंकी डिप्टी कलक्टरको नाराज करनेकी हिम्मत न हुई, वे डर गये और उन्होंने उनकी बात मान ली। जब जलसेके सदर श्री वीरुमल बेगराज, सक्खरके असहयोगी वकील श्री मूलचन्द और अन्य लोग सक्खरवाली ट्रेनसे स्टेशनपर उतरे तो उन्हें कोई गाड़ी नहीं मिली। एक गाड़ीवान किसी तरह राजी भी हुआ तो पुलिसके जमादारने उसकी पिटाई कर दी और तब उसने भी जानेसे इनकार कर दिया। अध्यक्ष और दूसरे लोग तेज धूपमें करीब एक मीलका फासला तय करके पासके एक गाँव में पहुँचे। वहाँकी पंचायतने उनके लिए सवारीका इन्तजाम किया और तब कहीं धूपमें तपते हुए वे उनावरो पहुँच सके। उबावरोमें लोगोंको डरा दिया गया था कि अगर वे जलसेमें गये तो यहाँ उनके घर लूट लिये जायेंगे। इसलिए वे हिचकिचाने लगे। इसपर कान्फ्रेंसके स्वयंसेवकोंने उनके घरों पर पहरा देनेका इन्तजाम किया और तब लोग जलसेमें आये। जलसेमें सी० आई० डी०का गुर्गा एक मुसलमान भाषण देनेकी जिव करने लगा। पूछनेपर भी उसने यह नहीं बताया कि वह किस विषयपर बोलेगा। आखिर में इजाजत मिल जानेपर वह वहाँ मौजूद कार्यकर्त्ताओंमें से एकको भद्दी जबानमें बुरा-भला कहने लगा, मगर लोगोंने इसे भी बरदाश्त कर लिया। थोड़ी देर बाद पुलिसका दूसरा गुर्गा बिना किसी वजहके वो स्वयंसेवकोंपर टूट पड़ा और उसने उन्हें और आसपासके दो-चार आदमियोंको घूसों और जूतोंसे पीटा। लेकिन मार खाने वालोंने उलटकर जवाब नहीं दिया। सारे जलसेके वौरान जलसेका आयोजन करनेवालोंको यह अन्देशा बना रहा कि कहीं हिला न भड़क उठे; लेकिन अधिकारियोंके गुर्गे जी-तोड़ कोशिश करनेपर भी हिला नहीं भड़का सके। गाड़ीवाले कान्फ्रेंस प्रतिनिषियोंको वापस ले जानेके लिए भी तैयार न हुए। मीरपुर माथेलोमें, जहाँ कार्यकर्ता और प्रतिनिधि उतरे थे, जलसेमें मौजूद कुछ अफसरोंने मौलवी, ताज मुहम्मदकी खुलेआम तौहीन की, नगर मौलवी साहब और दूसरे लोगोंने भी सब-कुछ बरदाश्त किया और उनके साथ न तो मारपीट की और न उन्हें कड़ी बातें ही कहीं। जलसेके बादसे जिलेकी हालत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। उधर ये मुख्तियारकार मुसलमानोंकी सभाएँ करते रहे हैं और उन्हें भड़काते रहे हैं कि हिन्दू तुम्हारे साथ दगा और फरेब कर रहे हैं। इसलिए