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भाषण : अहमदाबादकी सार्वजनिक सभामें


हिंसा मत करो तो उसका अर्थ होता है हिंसा करो। आपको ऐसा उलटा अर्थ नहीं लगाना चाहिए। आपने ऐसा गलत अर्थ लगाकर अप्रैल १९१९ में दो निर्दोष व्यक्तियोंका खून किया। आप कदापि ऐसा अर्थ न करें कि गांधी तो ‘बड़ा’ व्यक्ति है, इसलिए जब वह कहे कि मकानोंमें आग मत लगाओ तब आग लगाना और जब वह कहे तलवार मत चलाओ तब तलवार चलाना ही आपका काम है। याद रखिए, अगर आपसे फिर ऐसी भूल हुई तो आपको अपनी तलवारें गांधीकी गर्दनपर चलानी होंगी। जो गांधी आपको अपना सगा मानता है वह आपसे कहता है कि मैं जो कुछ कहता हूँ उसका अगर आप गलत अर्थ लगायेंगे तो मेरी गर्दनपर आपकी छुरी चलेगी। आपकी ऐसी भूलोंके विचार-मात्रसे में काँप जाता हूँ। आप मिल छोड़कर बाहर आये ही कैसे? दो-चार व्यक्तियोंने आपपर दबाव डाला, आपसे कुछ कहा और आप निकल पड़े? अपने-आपको मिलसे ऐसे छुड़ाकर भागने में आपने जवाँमर्दी नहीं दिखाई। यदि मुसलमान खिलाफतकी, हिन्दू हिन्दू धर्मकी और ये दोनों हिन्दुस्तानकी रक्षा करना चाहते हैं तो आपको सिंह बनना होगा, भेड़ नहीं। हमें चालाकी नहीं करनी है। हम धर्मको और इस्लामको चालाकीसे नहीं बचाना चाहते। हमें तो जवाँ मर्दी दिखानी है। हमें विश्वासघातका मुकाबला विश्वासघातसे नहीं करना, खूनीको मारना नहीं बल्कि स्वयं मरना है। यह बात आप जान लें और अच्छी तरहसे समझ लें। आज मजदूरोंने अपने कामसे मेरी नाक काट दी है, मौलाना साहबका अपमान किया है। खिलाफतके, स्वराज्यके, हिन्दुस्तान के काम में विघ्न डाल दिया; इस कामसे स्वराज्यका चाँद ओटमें हो गया, उसे आज ग्रहण लग गया। मेरे जैसे व्यक्तिको, जो आज एक ही काममें तल्लीन है, आप हतोत्साहित कैसे कर सकते हैं? मुझे मजदूरोंपर इतना अधिक विश्वास था कि जिन भले मजदूरोंने २३ दिनतक लगातार एक पेड़के नीचे बैठकर[१] ईश्वरके सम्मुख प्रतिज्ञा ली थी, वे ईश्वरको नहीं भूलेंगे। आज आप खिलाफत, हिन्दू धर्म और हिन्दुस्तानको भूल गये हैं।

इसके प्रायश्चित्तके रूपमें आप मिल मालिकोंसे माफी माँगेंगे और जितने घंटे कामसे दूर रहे हैं उतने घंटोंकी क्षतिपूर्ति करेंगे। ऐसा करनेमें भलमनसाहत है। आप डरते हैं कि मिल-मालिक आपको रौंद देंगे। ऐसा भय तो भेड़ोंको होता है। जिनमें शक्ति होगी वे इस तरहसे नहीं डरेंगे; ऐसे लोगोंको कोई नहीं दबा सकता। जिनमें शक्तिका अभाव होगा उन्हें सारी दुनिया डरायेगी। तर्के-मवालातका मतलब ही यह है कि इन्सानियतको जानें और उसका विकास करें।

हमसे अगर आप काम करवाना चाहते हैं तो हम जो कहें उसका आप उलटा अर्थ न लगायें। अब में किस मुंहसे मिल मालिकोंके पास खिलाफत और स्वराज्यके लिए मदद माँगने जा सकता हूँ? वे मुझसे कहेंगे कि आप जो काम कर रहे हैं उससे तो हिन्दुस्तानका नाश ही होनेवाला है। अगर हम करोड़पति बन गये हैं तो हमने मजदूरोंको भी तो कुछ दिया है, हम उनको जो पैसा देते हैं वे उसका कमसे-

  1. यह जिक्र अहमदाबादमें उस बबूलके वृक्षका है जिसके तले बैठकर गांधीजी हड़ताली मजदूरोंके सामने भाषण दिया करते थे। देखिए खण्ड १४।