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सभामें अन्त्यजोंको भी आनेकी अनुमति थी। उनके बीस घर हैं और उन्होंने तिलक स्वराज्य कोषके लिए बत्तीस रुपये इकट्ठे किये थे। साणंदमें अन्त्यजोंसे अलग भेंट करनी पड़ी और वहाँसे सात एक रुपये मिले।

यह कहकर मैं साणंदके दोष नहीं बताना चाहता। मुझे विश्वास है कि यदि साणंद में थोड़ेसे चरित्रवान स्वयंसेवक काम करें और वे थोड़ेसे स्थानीय लोगोंके दिलों में इस कार्य के प्रति दिलचस्पी उत्पन्न कर सकें तो साणंद सरखेजके साथ खड़ा हो सकता है। मुझे उम्मीद है कि साणंद में कोई-न-कोई स्वयंसेवक पहुँच ही जायेगा और वहाँ आवश्यक जागृति आ ही जायेगी। साणंद-निवासियोंको मैं सलाह देता हूँ कि वे तुरन्त अपने सार्वजनिक कार्यको व्यवस्थित रूप देकर साणंदमें जो शक्ति है उसके अनुरूप उक्त कार्यको शोभान्वित करें।

विदेशोंको नुकसान पहुँचाना

विदेशोंको नुकसान पहुँचाकर हिन्दुस्तानको लाभ पहुँचानेका अपराध मैं नहीं करूँगा, मेरे इस आशय के लेखको दृष्टिमें रखते हुए एक नवयुवकने पूछा है कि चरखे और असहयोगसे इंग्लैंडको जो भारी नुकसान पहुँचेगा उसके सम्बन्धमें मेरा क्या कहना है? ऐसे प्रश्न उठा ही करते हैं। बालकी खाल निकालनेवाले प्रश्न वैसे तो अच्छे होते हैं लेकिन अगर मानसिक चरखा कातनेवाले लोग वास्तविक चरखा कातने लगें तो उनके मनकी गुत्थियाँ स्वयमेव सुलझ जायेंगी। चरखे अथवा असहयोगसे इंग्लैंडको कुछ नुकसान होगा ऐसा मैं कतई नहीं मानता। ये दोनों आत्मशुद्धिके साधन हैं, वे हमें और उसी तरह इंग्लैंड को पावन बनानेवाले हैं। शराबकी दुकानोंको बन्द करनेसे शराब पीनेवालों और बेचनेवालोंको जैसे नुकसान होता है ठीक वही बात हम चरखे और असहयोगके सम्बन्धमें भी कह सकते हैं। और फिर मैं अपना घर फूंककर तमाशा नहीं देखना चाहता। जैसे मैं विदेशका नुकसान नहीं करूँगा वैसे ही मैं अपने देशका नुकसान भी नहीं होने दूंगा। जैसे मैनचेस्टरके व्यापारने हिन्दका नुकसान किया, इससे मैं उसे त्याज्य समझता हूँ, वैसे ही हिन्दुस्तानका चीनके साथ अफीमका व्यापार चीनके लिए हानिकारक होने के कारण मैं उसे भी त्याज्य समझता हूँ। कोई हमसे अनुचित लाभ उठाता हो और अगर हम शान्तिपूर्ण ढंगसे उसका प्रतिकार करते हैं तो इसमें उस व्यक्तिका नुकसान होनेकी कोई बात ही नहीं उठती।

हिन्दू-मुस्लिम एकता

यही भाई अभीतक हिन्दू-मुस्लिम एकता के सम्बन्धमें दुविधामें पड़े हुए हैं। वे लिखते हैं कि जबतक हिन्दुस्तानका एक भी मूक प्राणी मुसलमानके हाथों मारा जाता है और जबतक वे ताबूतमें ‘गिरगिट’ लटकाते हैं तबतक एकता असम्भव है। इसमें मुझे बहुत अज्ञान दिखाई देता है। करोड़ों हिन्दू दूसरे जानवरोंको मारते हैं, गिरगिटके समान करोड़ों अन्य प्राणियोंको धर्मके बहाने लटकाते हैं, वैसा होनेपर भी उनके साथ कोई विवाद नहीं करता तो हम मुसलमानोंके साथ कैसे कर सकते हैं? सहिष्णुता हिन्दू धर्मका और सभी धर्मोका गुण रहा है। मुसलमान हिन्दुओंके सम्मानके

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