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६०. पाँच सौवीं मंजिल

मैंने शिमलाका नाम सुना था, उसे देखा न था। देखनेकी इच्छा होती थी लेकिन जाते हुए भय होता था। मुझे ऐसा लगा करता था कि शिमलेमें मैं खो जाऊँगा। शिमले में मैं अकेला व्यक्ति ही जंगली के समान दिखाई दूंगा, मुझे ऐसा भी प्रतीत होता।

अब शिमला देखा। मैं अभी भारतभूषण पण्डित मालवीयजीसे मिलकर आया हूँ; उनकी छत्रछायामें हूँ। मकानका नाम “शान्त कुटी” है और यहाँ आसपास मेरे अपने साथी हैं। जलवायु सुन्दर है। प्रकृतिने अपना सौन्दर्य बिखरा देनेमें कुछ उठा नहीं रखा है। ये पहाड़ हिमाचलके अंग हैं। मुझे बाहरी वातावरणसे तनिक भी शान्ति नहीं मिलती; और अगर मेरी [मानसिक] शान्तिका आधार बाहर के वातावरणपर ही निर्भर करता हो तो मुझे यहाँसे भाग जाना पड़ेगा अथवा मैं पागल हो जाऊँगा।

इस नगरका नाम शिमला माताके नामपर पड़ा है। ठीक उसी तरह जिस तरह बम्बईका मुम्बादेवी और कलकत्ताका कालीके नामपर पड़ा है। या तो ये तीनों देवियाँ पाषाण हृदया हैं अथवा उनके उपासक उन्हें भूल गये हैं। कालीके मन्दिरका विचार करता हूँ तो भय लगता है। इसे मन्दिर ही कैसे कहा जा सकता है। वहाँ प्रतिदिन अक्षरशः रक्तकी नदी बहती है। वहाँ धर्मके नामपर जिन हजारों बकरोंकी बलि दी जाती है वे ईश्वरके दरबारमें कैसी फरियाद करते होंगे, इसकी किसे खबर है? कालीमातामें कितना धीरज है? क्या वही यह राक्षसी भोग माँगती है? भोग चढ़ानेवाले उसे बदनाम करते हैं।

बम्बई में भी कम अत्याचार नहीं होते। लेकिन वहाँ धर्मके नामपर ऐसी हत्या नहीं होती। शेयर बाजार में जानेवाले, घुड़दौड़में पानीकी तरह रुपया बहानेवाले लोग पाखण्डको पाखण्डके नामसे ही पहचानते हैं, अपनी दुर्बलताको स्वीकार करते हैं। बम्बईके कसाईखानोंमें जो कत्ल होता है वह पेटकी खातिर होता है, धर्मके नामपर नहीं। इस जानकारीके कारण बम्बई में रहना असह्य नहीं जान पड़ता।

लेकिन शिमला? दिल्लीको हिन्दुस्तानकी गुलामीकी निशानी नहीं कहा जा सकता। असली राजधानी दिल्ली नहीं है; शासकोंका असली गढ़ तो शिमला है। शिमलाकी नगरपालिकाने माननीय वाइसराय महोदयको बताया कि अधिकारी-वर्ग शिमला पहाड़की शान्ति और उसकी ठंडकमें प्रतिवर्ष अपनी 'पॉलीसी' राज्यनीति गढ़ता है। यह राज्यनीति कैसी है इसका हमने १९१९ की गर्मियोंमें जी भरकर अनुभव किया। इस राजनीतिके तापका माप हिन्दुस्तानके गरमसे-गरम भागसे ज्यादा है।

शिमला देख लेनेके बाद भी मेरे इन विचारोंमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। शिमलापर राशि राशि पैसा खर्च किया जाता है। मेरे-जैसे अभिमानी को भी यहाँ नीचा देखना पड़ा। शिमला में घोड़े अथवा रिक्शेकी सवारी मिलती है। दक्षिण आफ्रिकामें मैं कभी रिक्शेपर नहीं बैठा लेकिन मेरी कमजोरीने यहाँ मुझे उसपर बैठनेके लिए विवश