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टिप्पणियां : दक्षिण अफ्रीकावासी ब्रिटिश भारतयोंकी कष्ट-गाथा

(दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंको कभी-कभी 'अरब' कहा जाता है) केप-सरकारके सामने अपील की। परन्तु केप-सरकारने मजिस्ट्रेटका फैसला बहाल रखा और निर्देश दिया कि ईस्ट ग्रिक्वालैंडमें किसी अरब या कुलीको व्यापार करने का परवाना न दिया जाये और जिन एक या दो लोगोंके पास परवाने हैं उनका कारबार बन्द करा दिया जाये।

यह तो ट्रान्सवालको भी मात दे देना हुआ!

चार्टर्ड टेरिटरीज

इन प्रदेशोंमें माशोनालैंड और मेटावेलेलैंड शामिल हैं। यहाँ लगभग १०० भारतीय हजूरिये (वेटर) और मजदूर बसे हुए हैं। कुछ व्यापारी भी वहाँ बस गये है; परन्तु उन्हें पहले-पहल तो व्यापार करने के लिए परवाना देनेसे इनकार कर दिया गया। फिर भी कानून भारतीयोंके पक्षमें होने के कारण एक उद्यमी भारतीय गत वर्ष केप टाउनकी बड़ी अदालतसे व्यापारका परवाना प्राप्त करने में सफल हो गया है।

अब चार्टर्ड टेरिटरीज़के यूरोपीयोंने कानूनमें परिवर्तन करने की अर्जी दी है, ताकि भविष्यमें भारतीयोंको यहाँ व्यापारके परवाने प्राप्त करने से रोका जा सके। दक्षिण आफ्रिकाके समाचारपत्रोंका कथन है कि केप-सरकार ऐसे परिवर्तनके पक्षमें है।

ट्रान्सवाल या दक्षिण आफ्रिको गणराज्य

यह एक स्वतन्त्र गणराज्य है, जिसका शासन डच या बोअर लोग करते हैं। इसमें दो सदनोंकी संसद है, जिसे 'फोक्सराट' (लोकसभा) कहा जाता है। इसके अलावा, कार्यपालक-मंडल है, जिसका प्रमुख अध्यक्ष होता है। इसका क्षेत्रफल १,१३,६४२ वर्गमील और गोरोंकी आबादी १,१९,२२८ है। काले लोगोंकी आबादी ६,५३,६६२ बताई जाती है। गणराज्यका मुख्य उद्योग ट्रान्सवालके सबसे बड़े शहर जोहानिसबर्गको सोनेकी खानें है। कुल भारतीय आबादी मोटे तौरपर ५,००० बताई जा सकती है। वे व्यापारी, दुकानदारोंके सहायक, फेरीवाले, रसोइये, हजूरिये (वेटर) या मजदूर है। इनमें से अधिकतर जोहानिसबर्ग तथा गणराज्यकी राजधानी प्रिटोरियामें बसे हुए हैं। व्यापारी लगभग २०० हैं, जिनकी बेबाक पूंजी लगभग एक लाख पौंड होगी। इन व्यापारियोंमें से कुछकी शाखाएँ दुनियाके दूसरे हिस्सोंमें भी हैं। उनका अस्तित्व मुख्यतः उनके ट्रान्सवालके रोजगारपर निर्भर करता है। सारे गणराज्यमें लगभग २,००० फेरीवाले हैं, जो माल खरीदते हैं और फेरी लगा-लगाकर बेचते हैं। लगभग १,५०० व्यक्ति यूरोपीयोंके मकानों या होटलोंमें सामान्य नौकरोंके तौरपर लगे हैं। यह अंदाजा १८९४ में लगाया गया था। तबसे हर विभागमें संख्या बहुत बढ़ गई है।

ट्रान्सवालपर प्रभुसत्ता सम्राज्ञी की है। इंग्लैंड और ट्रान्सवाल की सरकारोंके बीच दो समझौते हैं।