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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


विषय बहुत महत्त्वका है, इसलिए मैं आपके सहयोगियोंसे इस पत्रको उद्धृत करने का अनुरोध करता हूँ।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
नेटाल मर्क्युरी, १५–११–१८९७

६५. पत्र : नेटालके औपनिवेशिक सचिवको

डर्बन
१३ नवम्बर, १८९७

माननीय औपनिवेशिक सचिव

मरित्सबर्ग

महोदय,

मैं इसके साथ 'मर्क्युरी' की एक कतरन भेज रहा हूँ। इधर कुछ दिनोंसे अखबारोंमें ये समाचार निकल रहे हैं कि भारतीय लोग डेलागोआ-बे या चार्ल्सटाउनके रास्ते इस उपनिवेशमें प्रवेश करके, या प्रवेश करने का प्रयत्न करके, प्रवासी-अधिनियम से बचने की कोशिशें कर रहे हैं। आजतक ऐसे समाचारोंपर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा गया था। परन्तु साथकी कतरनने बातको ज्यादा गम्भीर रूपमें पेश किया है, और सम्भव है कि इससे यूरोपीय समाजका क्रोध भड़क उठे। इसलिए नेटालके प्रमुख भारतीयोंकी ओरसे मैं यह सुझाव देता हूँ कि सरकार कृपा करके इस समाचारका खंडन कर दे। मैं कह दूँ कि उक्त कानूनका उल्लंघन करने के लिए नेटालमें या अन्यत्र कोई संगठन नहीं है। नेटालके उत्तरदायी भारतीयोंने कानूनके पास होने के समयसे ही वफादारीके साथ उसका पालन किया है और दूसरोंको भी ऐसा करने की आवश्यकता समझाई है। फिर भी, अगर सरकारका खयाल इसके विपरीत हो तो मुझे इस विषयमें सार्वजनिक जाँचकी माँग करनी होगी।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्नेजीसे]
नेटाल मर्क्युरी, २०–११–१८९७