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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय
(ख) अगर ऐसा व्यक्ति नेटालमें प्रवेश करने से एक हफ्तेके अन्दर उपनिवेश-सचिव या किसी मजिस्ट्रेटसे इस आशयका प्रमाणपत्र प्राप्त कर ले कि वह इस कानून द्वारा वर्जित वर्गमें शामिल नहीं है तो उसकी सौ पौंडकी रकम वापस कर दी जायेगी।
(ग) अगर ऐसा व्यक्ति एक सप्ताहके अन्दर इस तरहका प्रमाणपत्र प्राप्त न कर सके तो उसकी सौ पौंडकी जमा रकम जब्त की जा सकती है और उसे वर्जित प्रवासी माना जा सकता है।

शर्त यह है कि, इस धाराके अनुसार नेटालमें प्रवेश करनेवाले व्यक्तिके सम्बन्ध उस जहाजके अधिकारियों या मालिकोंपर कोई देनदारी न होगी, जिससे वह व्यक्ति उपनिवेशके किसी बन्दरगाहमें आया हो।

६. ऐसे किसी व्यक्तिको वर्जित प्रवासी नहीं माना जायेगा, जो इस कानूनके अनुसार नियुक्त अधिकारीको सन्तोष दिला दे कि वह पहले नेटालमें रहता था और वह इस कानूनकी धारा ३ के उपखण्डों (ग), (घ), (ङ) और (च) में से किसीके अर्थके अन्तर्गत सम्मिलित नहीं है।

७. जो व्यक्ति वर्जित प्रवासी नहीं है, उसकी पत्नी और नाबालिग बच्चा इस कानूनकी रोक से मुक्त रहेंगे।

८. जिस-किसी भी जहाज से कोई वर्जित प्रवासी उतारा जायेगा, उसका अधिकारी और उसके मालिक अलग-अलग और मिलकर कमसे-कम १०० पौंडका जुर्माना भोगने के जिम्मेदार होंगे। यह जुर्माना पहले पाँच वर्जित प्रवासियोंके बाद पाँच प्रवासियोंके प्रत्येक समूहके पीछे १०० पौंड़के हिसाब से ५,००० पौंड तक बढ़ाया जा सकेगा। और इस तरहका जुर्माना सर्वोच्च न्यायालयका आदेश प्राप्त करके जहाजसे वसूल किया जा सकेगा। जबतक जुर्माना वसूल न हो और जहाजका अधिकारी इस तरहसे उतारे हुए प्रत्येक वर्जित प्रवासीको उपनिवेशसे बाहर ले जानेकी ऐसी व्यवस्था न कर दे, जिससे इस कानूनके मातहत नियुक्त अधिकारीको सन्तोष हो, तबतक के लिए जहाजको बाहर जाने की इजाजत देने से इनकार किया जा सकता है।

९. किसी वर्जित प्रवासीको कोई व्यापार-धन्धा करने के परवाने का हक न होगा। उसे पट्टेपर या मिल्क मुतलक या और किसी प्रकारकी जमीन प्राप्त करने, या मताधिकारका प्रयोग करने, या किसी नगरके नागरिक अथवा किसी नगर-क्षेत्रके बाशिन्देके तौरपर नाम दर्ज कराने का अधिकार न होगा; और यदि इस कानूनके विरुद्ध उसने कोई परवाना या मताधिकार प्राप्त कर लिया हो तो वह व्यर्थ हो जायेगा।

१०. सरकारसे अधिकार प्राप्त कोई भी अधिकारी किसी भी जहाजके कप्तान, मालिक या एजेंटके साथ नेटालम पाये गये किसी भी वर्जित प्रवासीको उसके देशके या उसके पास के किसी बन्दरगाहमें छोड़ आनेका करार कर सकता है। पुलिस ऐसे किसी भी प्रवासीको उसके सामान के साथ जहाजपर बैठा सकती है। ऐसी हालतमें अगर वह प्रवासी कंगाल हो तो उसे इतना धन दे दिया जायेगा, जिससे जहाजसे उतरने के बाद वह अपनी स्थितिके अनुसार एक मासतक अपना निर्वाह कर सके।