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३३. पत्र : आर॰ सी॰ अलेक्जैंडरको

डर्बन
२४ मार्च, १८९७

श्रीमान आर॰ सी॰ अलेक्जेंडर

सुपरिटेंडेंट, नगर-पुलिस
डर्बन

श्रीमन्,

हम नीचे हस्ताक्षर करनेवाले इस उपनिवेशके भारतीय समाजके प्रतिनिधि इस पत्रके साथ आपको उपयुक्त शब्द उत्कीर्ण की हुई एक सोनेकी घड़ी भेंट करना चाहते हैं। आपको और आपकी पुलिसने १३ जनवरी, १८९७ को जिस उत्तम ढंगसे अमन-अमानकी रक्षा की और जिस तरह आप एक ऐसे व्यक्तिकी प्राण-रक्षाके निमित्त बने, जिसे प्रेम करने में हम आनन्द अनुभव करते हैं, उसकी कृतज्ञतामय स्वीकृतिके उपलक्ष्यमें ही हमारी यह भेंट अर्पित है।

हम जानते हैं कि आपने जो-कुछ किया, उसे आप अपने कर्त्तव्यसे अधिक नहीं मानते। परन्तु हमारा विश्वास है कि उस असाधारण समयपर आपने जो बहुमूल्य काम किया, उसके बारेमें अगर हम अपनी विनम्र सराहना किसी-न-किसी रूपमें अंकित' न करें तो यह हमारी भारी कृतघ्नता होगी।

इसके सिवा, उसी उपलक्ष्यमें हम इसके साथ १० पौंडकी रकम भी भेज रहे हैं। यह आपके दलके उन लोगोंमें बाँटने के लिए है, जिन्होंने उस अवसरपर सहायता की थी।[१]

आपके, आदी

अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ २१४९) से।

  1. श्री अलेक्जेंडर और उनकी पत्नीके द्वारा गांधीजी के नाम लिखे पत्रों (एस॰ एन॰ १९३८ और १९३९) से जान पड़ता है कि गांधीजी ने व्यक्तिगत रूपसे भी उन्हें धन्यवादके पत्र लिखे थे, किन्तु ये पत्र उपलब्ध नहीं हैं।