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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

 

(परिशिष्ट क क)
नकल

८ जनवरी, १८९७

कप्तान मिलने

'कूरलैंड' जहाज

प्रिय महाशय,

शायद न तो आपको और न आपके यात्रियोंको ही पता होगा कि इधर कुछ समयसे एशियाइयोंके आगमनके विरुद्ध उपनिवेशकी भावनाएँ बहुत भड़की हुई हैं। आपके जहाज तथा 'नादरी' के यहाँ आनेपर तो वे चरम सीमापर पहुँच गई हैं।

उसके बाद डर्बनमें सार्वजनिक सभाएँ हुई है, और संलग्न प्रस्ताव उनमें उत्साहपूर्वक पास किये गये हैं। इन सभाओंमें उपस्थिति इतनी अधिक थी कि जो लोग इनमें सम्मिलित होना चाहते थे, वे सब नगरके सभा-भवन (टाउन हॉल) में प्रविष्ट नहीं हो सके।

डर्बनके प्रायः प्रत्येक व्यक्तिने हस्ताक्षर करके अपना संकल्प प्रकट किया है कि वह आपके जहाज और 'नादरी' के यात्रियोंको उपनिवेशमें नहीं उतरने देगा। हमारी प्रबल इच्छा है कि यदि सम्भव हो तो डर्बनके लोगों और आपके यात्रियोंमें टक्कर न हो। उन्होंने यहाँ उतरने का यत्न किया तो बिलकुल निश्चय है कि यह टक्कर होकर रहेगी।

आपके यात्री यहाँकी भावनाओंसे अनजान हैं और अनजानेमें ही यहाँ आ गये हैं, और हमें महान्यायवादीसे मालूम हुआ है कि यदि आपके आदमी भारत लौट जाना चाहेंगे तो उनका खर्च उपनिवेश दे देगा।

इसलिए यदि हमें जहाजके घाटपर लगने से पहले ही आपके पाससे वह उत्तर मिल जाये तो हमें खुशी होगी कि आपके यात्री उपनिवेशके खर्चपर भारत लौट जाना पसन्द करेंगे या, यहाँ जो हजारों आदमी उनके उतरने का विरोध करने का मौका देखते तैयार खड़े हैं, उनका सामना करके वे जबरदस्ती उतरने का प्रयत्न करना चाहेंगे।

आपका सच्चा,
(ह॰) हैरी स्पार्क्स
समितिका अध्यक्ष