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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय


सारी यात्रामें, सब यात्री और मल्लाह प्रत्येक प्रकारके रोगसे सर्वथा मुक्त रहे, और उक्त यात्रामें यात्रियोंके निवास स्थानोंकी सफाई, हवादारी और ओषधि द्वारा शोधनका काम प्रतिदिन कठोरतासे नियमपूर्वक किया जाता रहा; और यहाँ पहुँचनेपर मुझ पेश होनेवाले व्यक्तिने, जहाजके सब लोगोंके स्वस्थता-सम्बन्धी साधारण कागजात इस बन्दरगाहके स्वास्थ्य अधिकारीके सुपुर्द कर दिये, और मुझ पेश होनेवाले व्यक्तिके पूछनेपर स्वास्थ्य-अधिकारीने मुझे सूचित किया कि उक्त जहाज तबतक संगरोधमें रखा जायेगा जबतक कि उसे बम्बईसे चले २३ दिन नहीं बीत जायेंगे।

१९ दिसम्बरको उक्त पेश होनेवाले ने तटपर यह संकेत-सन्देश भेजा : "मेरे पास पानीकी कमी होती जा रही है और कुछ पानी प्राप्त करने का प्रयत्न करना जरूरी है।" जहाजकी सफाई और ओषधि द्वारा शोधनके काम कठोरतासे किये जा रहा हैं।

२२ दिसम्बरको उक्त पेश होनेवाले ने तटपर फिर निम्न संकेत-सन्देश भेजा : "हमारी अवधि पूरी हो गई है। क्या अब हम संगरोधसे निकल गये? कृपया संगरोधअधिकारीसे सलाह कीजिए। बताइए, हम सब स्वस्थ हैं। धन्यवाद।" इसका यह जवाब मिला : "संगरोधकी मियाद अबतक तय नहीं हुई।" संगरोधके इन चार दिनोंमें उक्त पेश होनेवाले के जहाजकी सफाई और शोधन प्रतिदिन किया जाता रहा और संगरोधके नियमोंका पालन कठोरतासे किया जाता रहा।

२३ दिसम्बरको उक्त पेश होनेवाले ने यह संकेत-सन्देश भेजा : "पानी बिना संकटमें हैं, घोड़ोंके लिए घास चाहिए। जहाजपर पूर्ण स्वस्थता है। मालिकोंसे कहिए हमें संगरोधसे छुड़ाने का पूर्ण प्रयत्न करें।" इसका जवाब यह मिला : "मालिकोंकी तरफसे : पानी भापसे तैयार कर लो। संगरोधसे छूटने की खबर आज दोपहर मिलनेकी आशा है। घास कल सुबह भेजेंगे। आपके पास डाक है क्या?"

२४ दिसम्बरको स्वास्थ्य-अधिकारी जहाजपर आया और उसने आज्ञा दी कि सब पुरानी पट्टियाँ, मैले चिथड़े और पुराने कपड़े जला डालो, माल-गोदाममें धूनी दो और उसकी सफेदी करवाओ, सब कपड़ोंको धूप दिखाओ और उनका शोधन करो, खानेकी चीजें यात्रियोंके सम्पर्क से अलग रखो, सब यात्रियोंके पहनने के कपड़े कार्बोलिक ऐसिडमें डुबाओ, यात्रियोंको भी इस ऐसिडके हलके घोलसे नहलाओ, और जहाजको रोगसे मुक्त रखने के लिए और भी जो करना आवश्यक हो, सो करो। उसने यह भी कहा कि संगरोध आजकी तारीखसे ११ दिनतक रहेगा।

२५ दिसम्बरको यात्रियोंके बिछाने की बढ़त-सी पटि्टयां जला डाली गई और यात्रियोंके रहने के सब स्थानों, स्नानघरों, और पेशाबघरोंका शोधन करके सफेदी करा दी गई।

२६ दिसम्बरको यात्रियोंको नहलाकर उनके पहनने के कपड़े कार्बोलिक ऐसिडके हलके घोलमें डुबाये गये। तटपर यह संकेत-सन्देश भेजा गया : "पानीके बिना संकटमें हैं, तुरन्त भेजो, और संगरोध-अधिकारीकी आज्ञानुसार खानेका नया सामान भी। घोड़ोंको उतार देनेमें भी क्या कोई अड़चन है? संगरोध-अधिकारी तो