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प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको

मैं अच्छे व्यापारियोंसे कहना चाहता हूँ। देहातोंके दूकानदारोंको अपनी कीमतें खासी घटानी ही क्यों न पड़ जायें, वे नष्ट निश्चय ही नहीं होंगे। प्रति सप्ताह चार सौ गैलन शीरेकी नकद बिक्री कुछ कम नहीं होती। साम्राज्यके देशोंका संघ बनाने की बात भारतके अपने साथी प्रजाजनोंका बहिष्कार करने की है। भारतके वीर सैनिक, हमारे सैनिकोंके साथ कन्धेसे कन्धा भिड़ाकर लड़ चुके हैं, उसकी सेनाएँ अनेक रक्त-रंजित रणक्षेत्रोंमें हमारे झंडेके सम्मानको रक्षा कर चुकी हैं। भारतमें बहुतेरी यूरोपीय दूकानें हैं। उनकी ग्राहकी बहुत अच्छी है, और वे अच्छी कमाई कर रही हैं।

प्राथियोंकी नम्र सम्मति है कि बहुत-सी बड़ी-बड़ी यूरोपीय पेढ़ियाँ सैकड़ों यूरोपीय मुहर्रिरों और सहायकोंको नौकरी दे ही इस कारण सकती हैं कि उनका माल भारतीय दूकानदार बेचते हैं। आपके प्रार्थियोंका निवेदन है कि परिश्रमी और मितव्ययी भारतीय लोग जहाँ-कहीं चले जाते हैं, वहाँके निवासियोंकी आर्थिक समृद्धि और भौतिक सुखकी उन्नतिमें सहायक हुए बिना नहीं रहते। और वे परिश्रमी और मितव्ययी हैं, यह तो उनके अति उग्र विरोधी भी मानते हैं। ट्रान्सवालवासी परदेशियों का समाज एक ऐसा समाज है, जो दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंकी उपस्थितिका बिलकुल असंगत विरोध करता रहता है। उसके विषय में 'स्टार' ने लिखा है :

दक्षिण आफ्रिका एक नया देश है। इसलिए इसका दरवाजा सबके लिए खुला रहना चाहिए। केवल किसीकी गरीबीके कारण इसे उसके लिए बन्द नहीं कर देना चाहिए। आज यहाँ जो लोग इतने धनी दिखाई पड़ रहे हैं, उनमें से अधिकतर अपनी जेबमें केवल कहावती आधा क्राउन [ढाई शिलिंग] डालकर यहाँ आये थे। हाँ, हमें यहाँकी आबादीके नेक नामको रक्षा अवश्य करनी चाहिए। परन्तु वैसा भी, आवारागर्दी और गुंडागिरीके विरुद्ध स्थानीय कानूनोंका प्रयोग न्याय और कठोरतासे करके ही करना चाहिए। नये आनेवालों को यह जानने से पहले ही मनमाने ढंगसे रोककर नहीं, कि नये देशको अधिक अच्छी अवस्थाओं में वे यहाँके उपयोगी नागरिकोंके बीच अपना स्थान ग्रहण कर सकेंगे या नहीं।

यह टिप्पणी कुछ आवश्यक परिवर्तनोंके पश्चात् भारतीय समाजपर शब्दशः लागू होती है। और यदि इसमें वर्णित स्थिति सत्य हो और वह 'परदेशियों' के बारेमें स्वीकार्य हो तो, आपके प्रार्थी साहसके साथ निवेदन करते हैं, वह वर्तमान मामलेमें और भी अधिक स्वीकार्य होनी चाहिए।

नेटाल-सरकारने प्रदर्शन-समितिको जो वचन दिया था, उसकी पूर्तिके लिए वह १८ तारीखसे आरम्भ होनेवाली माननीय विधानसभाम निम्न तीन विधेयक पेश करना चाहती है :