पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 2.pdf/१७२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

३२. प्रार्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको[१]

१५ मार्च, १८९७

सेवामें

परम माननीय जोजेफ़ चेम्बरलेन
मुख्य उपनिवेश-मंत्री, सम्राज्ञी-सरकार

लंदन

नेटाल उपनिवेशवासी निम्न हस्ताक्षरकर्ता भारतीयोंका प्रार्थनापत्र

नम्र निवेदन है कि :

आपके प्रार्थी, आपकी सेवामें, नेटालके भारतीय समाजके प्रतिनिधियोंकी हैसियतसे, नेटालकी भारतीय समस्याके सम्बन्धमें यह प्रार्थनापत्र पेश करने का साहस कर रहे है। १३ जनवरी, १८९७ को 'कूरलैंड' और 'नादरी' नामक जहाजोंसे एशियाई लोगोंके उतरने का विरोध करने के लिए डर्बनमें जो प्रदर्शन हुआ था, उससे इस प्रार्थनापत्रका विशेष सम्बन्ध है। प्रदर्शनका नेतृत्व एक कमिशन-प्राप्त अफसर कप्तान स्पार्क्सने किया था। उपर्युक्त दोनों जहाजोंके मालिक भारतीय हैं। वे दोनों जहाज लगभग ६०० यात्री लेकर १८ दिसम्बर, १८९६ को डर्बन पहुंचे थे। जब उनके यात्री तटपर उतरे उस समय उनके विरुद्ध संगठित किये गये प्रदर्शनका परिणाम यह हुआ कि प्रदर्शनकारियोंने एक यात्रीपर आक्रमण कर दिया। यदि डर्बन नगरकी पुलिस चतुराईसे काम न लेती तो प्रदर्शनकारी उस यात्रीकी हत्या ही कर डालते।[२]

नेटालका भारतीय समाज अरसे से अनेक कानूनी निर्योग्यताओंसे पीड़ित है। इनम से कुछके सम्बन्धमें सम्राज्ञी-सरकारको प्रार्थनापत्र[३] भी भेजे गये हैं। उनमें निवेदन किया जा चुका है कि उपनिवेशियोंका अन्तिम लक्ष्य स्वतन्त्र मनुष्योंके रूपमें भारतीयोंकी हस्ती मिटा देनेका है। यह भी बता दिया गया है कि भारतीयोंपर लगाई गई एक-एक कानूनी निर्योग्यता, बादको अनेक निर्योग्यताओंका कारण बन जाती है और वे लोग उपनिवेशमें भारतीयोंकी हालत इतनी बिगाड़ देना चाहते हैं कि वे अपने जीवन-भर (नेटालके महान्यायवादीके शब्दोंमें) "लकड़हारों और पनिहारों" के अलावा कुछ भी बनकर न रह सकें। इन तथा इसी प्रकारके अन्य आधारों

  1. प्रर्थनापत्र यथासमय छपा लिया गया था और ६ अप्रैलको इस अनुरोध के साथ नेटालके गवर्नरको भेज दिया गया था कि वे उसे उपनिवेश मंत्री के पास भेज दें। "देखिए प्रर्थनापत्र : नेटालके गवर्नरको", ६–४–१८९७।
  2. उल्लेख गांधी जी पर हुए आक्रमण का है।
  3. पहले भेजें गये विभिन्न प्रर्थनापत्र केलिए देखिए खण्ड १।