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२०. तार : वाइसरायको[१]

३० नवम्बर, १८९६ मुझे दक्षिण आफ्रिका के भारतीयों का तार मिला है। उसमें कहा गया है कि ट्रान्सवाल-सरकार भारतीयोंको पृथक् बस्तियों में चले जाने के लिए बाध्य कर रही है। स्पष्ट है कि श्री चेम्बरलेनने परीक्षणात्मक मुकदमा हो जानेतक कार्रवाई स्थगित रखने का जो अनुरोध किया है उसके बावजूद यह कार्य किया जा रहा है। मैं मानता हूँ कि ट्रान्सवाल-सरकारका यह कार्य अगर ज्यादा नहीं तो अन्तर्राष्ट्रीय शिष्टाचार का भंग करनेवाला तो है ही। प्रार्थना है कि पृथक् बस्तियोंमें हटाया जाना रोकने के लिए अविलम्ब कार्रवाई करें। सैकड़ों ब्रिटिश भारतीयोंका अस्तित्व दाँवपर है।।

[अंग्रेजीसे]
बंगालो, १-१२-१८९६

२१. पत्र : 'इंग्लिशमैन' को[२]

बम्बई
३० नवम्बर, १८९६

सम्पादक, 'इंग्लिशमैन'

कलकत्ता

महोदय,

दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंकी शिकायतोंके बारेमें मैंने गत १३ तारीखको आपको जो पत्र लिखा था,[३] उसी सिलसिलेमें अब मुझे दक्षिण आफ्रिकासे प्राप्त मूल तार देखने का मौका मिला है। कलकत्तामें मुझे मिले संवादमें 'रोड' शब्द था। मूल तारमें उसके स्थानपर 'राट' है। इससे अब अर्थ बिलकुल स्पष्ट हो गया

  1. यह तार कुछ रद्दोबदल के बाद 'टाइम्स ऑफ इंडिया', ३०–११–१८९६ के अंक में प्रकाशित हुआ था, जिसमें अंतिम वाक्य छोड़ दिया गया था।
  2. साधन-सूत्र में यह "दक्षिण अफ्रीका के भारतीय" शीर्षक से प्रकाशित हुआ।
  3. देखिए पृ॰ १०२–४।
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