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२६५. पत्र: मणिबहन पटेलको

बेजवाड़ा
मौनवार [४ अप्रैल, १९२१][१]

चि० मणि,

इस समय सुबहके पाँच बजे हैं। मसूलीपट्टम ले जानेवाली मोटरका इन्तजार कर रहा हूँ।

रातको एक बजे मैं एलौरसे यहाँ आया। ये तीनों जगहें नकशेमें देख लेना ।

आते ही तुम्हारा पत्र मिला और मैंने पढ़ा।

डाक्टर कानूगाने[२] अच्छा काम किया है । डाह्याभाई[३] पिकेटिंग करने जाता है, यह अच्छा है। उसे मेरी बधाई पहुँचा देना ।

चार घण्टे कातनेका नियम रखा, यह ठीक है। सूत मजबूत और एकसा निकालनेका प्रयत्न करना। यह भी देखना कि रोज कितना निकलता है।

मेरा तो विश्वास दिन-दिन बढ़ता जा रहा है कि स्वराज्य सूतपर ही निर्भर है।

मैं काममें व्यस्त रहा और भटकता रहा, इसलिए मैंने पेंसिलसे लिखा । परन्तु तुम्हें तो स्याही और देशी कलमसे ही लिखनेका अभ्यास रखना चाहिए ।

बापूकी सेवा करना और तुम दोनों भाई-बहनोंके बारेमें उनकी चिन्ताको कम करना ।

गुजराती दिन-प्रतिदिन सुधारना । ध्यानपूर्वक 'नवजीवन' पढ़नेसे गुजराती सुधर सकती है।

मैं मंगलवार १२ तारीखको अहमदाबाद पहुँचूँगा। बापूको खबर देना और कहना कि मुझे आशा है कि इस बीच उन्होंने खूब रुपया जमाकर लिया होगा।[४]

मोहनदास के आशीर्वाद


चि० मणिबेन,
द्वारा/ वल्लभभाई, बार-एट-लॉ,
भद्र, अहमदाबाद
[ गुजरातीसे ]
बापुना पत्रो : मणिबहेन पटेलने



  1. १. गांधीजी इस दिन एलौरसे बेजवाड़ा पहुँचे थे । ६-४-१९२१ को वे मसूलीपट्टम पहुँच गये थे।
  2. २. स्व० बलवन्तराय नरसिंहलाल कानूगा; अहमदाबादके प्रसिद्ध डाक्टर और कांग्रेसी कार्यकर्ता ।
  3. ३. सरदार वल्लभभाई पटेलके पुत्र |
  4. ४. सम्भवतः तिलक स्वराज्य कोषके लिए ।