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भाषण : कोकोनाडा में


शंकरलालका चरखा काम पूरा देता है; यह बात उन्होंने नम्रतापूर्वक कही है। मेरी सलाह यह है कि तुम पंजाबके चरखेके आकारके बारेमें कुछ सोचो। मुझे तो उसका आकार बिलकुल ठीक लगा है। यहाँ कताईके सम्बन्धमें जो कुछ किया जा रहा है उसे देखकर मैं चकित हो गया हूँ । यहाँके कते सूतसे बना जो कपड़ा मैं अपने साथ ला रहा हूँ उसे देखकर तुम दंग रह जाओगे। एक बालक मेरे पास एक चरखा लाया; उसका वजन दस तोला था। उस चरखेपर उसने बहुत महीन सूत कात कर दिखाया परन्तु इस सबका जिक्र कभी फिर करूंगा।

मैं वहाँ १२ तारीखको आ रहा हूँ; १०को बम्बई पहुॅचूँगा। चि० छगनलालके नाम लिखे गये पत्रको पढ़कर देखना और उसपर मनन भी करना ।

मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हिन्दुस्तानकी आर्थिक नीति उस शक्तिपर निर्भर करती है जो हम प्रदर्शित कर सकेंगे। परन्तु इस अवसरपर अधिक लिखना सम्भव नहीं है। मैं यह पत्र लिखते समय बहुत से लोगोंसे घिरा हुआ हूँ ।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ५७९२) से।
सौजन्य : राधाबेन चौधरी


२५९. भाषण : कोकोनाडामें[१]

२ अप्रैल, १९२१


मेरे हिन्दू और मुस्लिम देशभाइयो और बहनो,

कोकोनाडा नगरपालिकाके पार्षदो,

मैं भाषण देते समय खड़ा नहीं हुआ हूँ, इसलिए आप कृपया मुझे क्षमा करेंगे। मैं इसका कारण पहले ही बता चुका हूँ और अबतक शायद देशके अन्य भागों- की तरह यहाँ भी लोग उसे जान गये हैं। कारण मेरी शारीरिक कमजोरी है। मैं इस बात के लिए भी क्षमा चाहता हूँ कि में अपने भाई मौलाना शौकत अलीको अपने साथ नहीं ला सका। आप जानते हैं कि भारतको यह जताने के लिए कि हिन्दू-मुस्लिम एकता क्या वस्तु है मैंने और मौलाना शौकत अली दोनोंने एक सालतक भारतके प्रत्येक भागका भ्रमण साथ-साथ किया है परन्तु अभी कुछ दिनोंसे हम दोनों साथ- साथ नहीं रह सके हैं। श्री शौकत अली और में इस वर्ष स्वराज्य प्राप्त करनेके लिए उत्सुक हैं। हम दोनों ही खिलाफत और पंजाबपर किये गये अत्याचारोंके प्रतिकारके लिए उत्सुक हैं। और इसलिए एक वर्षतक साथ-साथ घूम चुकनेके पश्चात् हमने अलग- अलग क्षेत्रोंमें अपनी शक्तियोंका उपयोग करना निश्चित किया है और तय यह हुआ


  1. १. नगरपालिका परिषद् द्वारा किये गये स्वागत में जो मानपत्र दिया गया था उसीके उत्तरमें गांधीजीने उक्त भाषण दिया था ।