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भाषण : जालन्धरमें


रियोंको भी मैं उनकी पगड़ीके कारण पहचान पा रहा हूँ। लाला लाजपतरायका अनुमान है कि स्वराज्यके लिए पचास हजारसे लेकर एक लाखतक चन्दा प्राप्त होगा और लाला दुनीचन्दका[१] अनुमान था कि लगभग डेढ़ लाख रुपया प्राप्त होगा। मुझे नहीं लगता कि एक सालमें दस लाख रुपये इकट्ठा करना कोई बड़ी बात है। आप लोग जितना हो सके उतना चन्दा दीजिए ताकि मैं लाला लाजपतरायको ज्यादा आशापूर्ण समाचार भेज सकूँ। आप चन्देके कार्यके लिए पूरी व्यवस्था करें और ठीक-ठीक हिसाब रखें।

[अंग्रेजीसे]
ट्रिब्यून, ८-३-१९२१
 

२०६. तार : हंसराजको[२]

७ मार्च, [१९२१][३]

मानपत्र प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करूँगा पर बड़े सबेरे, ताकि हरियाना, होशियारपुर जाकर लुधियाना वापस आनेमें बाधा न पड़े।

[अंग्रेजीसे]
ट्रिब्यून, ८-३-१९२१

 

२०७. भाषण : जालन्धरमें[४]

८ मार्च, १९२१

महात्माजीने मानपत्रका उत्तर देते हुए नगरपालिकाको धन्यवाद दिया कि उसने एक राष्ट्रीय सेवकको मानपत्र देनेका साहस दिखाया। उन्होंने मौलाना शौकत अलीकी अनुपस्थितिपर खेद प्रकट किया और जिस महिलाने मानपत्र छापनेके लिए खद्दर दिया था उसे धन्यवाद दिया। उन्होंने मानपत्र मिलनेपर प्रसन्नता प्रकट की और कहा : शान्तिपूर्ण ढंगसे स्वराज्य प्राप्त करनेके लिए हमें खद्दर इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अतिरिक्त दूसरा कोई मार्ग नहीं है। धनी और निर्धन सबको खद्दर इस्तेमाल करना चाहिए। आज गाँवोंमें रहनेवाले करोड़ों भारतीयोंको इतना कपड़ा नहीं मिलता कि वे अपने शरीरतक ढक सकें। आपको पगड़ियाँ और बारीक मलमलके कपड़े मिल

  1. लाहौरके एक लोकप्रिय म्युनिसिपल कमिश्नर।
  2. यह तार जालन्धरके सार्वजनिक कार्यकर्त्ता रायजादा हंसराजके तारके उत्तरमें था।
  3. तारमें उल्लिखित मानपत्र जालन्धर नगरपालिका द्वारा ८ मार्च, १९२१ को दिया गया था।
  4. यह भाषण स्थानीय नगरपालिका द्वारा दिये गये मानपत्रके उत्तरमें दिया गया था।