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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
हट नहीं आई है। अगर वे इससे प्रसन्न न हुई हों तो इतना अवश्य है कि इससे चिन्तित भी नहीं हुई हैं।

मौलाना शफी और बाबू रामविनोदको निम्नलिखित नोटिस मिला है :

मुझे विश्वस्त सूत्रसे ज्ञात हुआ है और ऐसा विश्वास भी है कि आप हाजीपुरमें एक सार्वजनिक सभामें बोलनेवाले हैं। उस सभामें आप श्रोताओंको असहयोगके निमित्त जेलतक भोगनेके लिए प्रोत्साहित करेंगे, और असहयोगसे सम्बन्धित अन्य विषयोंपर भी बोलेंगे। आपकी इस तरह उकसानेवाली बातोंसे आपके श्रोताओंके बीच उत्तेजना फैलनेकी सम्भावना है और परिणामतः सार्वजनिक शान्ति भंग हो सकती है। अतः इन तथ्योंको ध्यानमें रखते हुए मैं दण्ड प्रक्रिया संहिताकी धारा १४४ के अधीन प्राप्त अधिकारोंकी रू से आपको आदेश देता हूँ कि आप मेरे अधिकारमें आनेवाले हलकेके भीतर असहयोगके किसी भी पहलूपर कोई भाषण न दें।

जिन सब-डिवीजनल अधिकारी महोदयके इसपर हस्ताक्षर हैं, वे ऐसा दावा करते हैं मानो उन्हें पहलेसे ही इसका पता है कि ये लोग क्या बोलेंगे। उनके विचारसे यही असहयोग है। सारे भारतमें वक्तागण लोगोंसे जेलके लिए तैयार रहने को कहते रहे हैं। लेकिन, उससे तो कहीं सार्वजनिक शान्ति भंग नहीं हुई है। सभी लोकप्रिय संस्थाओंने असहयोगकी सीख दी है, और आज भी रोज हजारों मंचोंसे इसकी सीख दी जा रही है। इन आदेशोंमें जो बातें कही गई हैं, उनसे तो स्वदेशी, मद्य-निषेध, अस्पृश्यता और हिन्दू-मुस्लिम एकतापर भी कुछ बोलनेमें व्यवहारतः रोक लग जाती है। कारण, ये सब असहयोगके ही तो "पहलू" हैं।

दूसरा आदेश इस प्रकार है :

चूँकि मुझे सूचित किया गया है कि बाँगरा, थाना, गोपालगंज, जिला सारनके ब्रह्मचारी रामरक्षाने कल एक सभामें भाषण दिया, जिसमें उन्होंने सरकार और अंग्रेजोंको धोखेबाज, वादा-खिलाफी करनेवाले और अत्याचारी कहकर उनकी भर्त्सना की और कहा कि ब्रिटिश सरकारकी नीति एक जातिको दूसरी जातिके खिलाफ खड़ा करके दोनोंपर शासन करनेकी है; उन्होंने कहा कि अपने जुल्मोंके कारण अवश्य ही इस सरकारका नाश होगा और अगर भारतीय लोग गांधीके कहे अनुसार चलें तो वे दस दिनके अन्दर ब्रिटिश सरकारको यहाँसे निकाल सकते हैं; और चूँकि यह भी बताया गया है कि इस भाषणसे बड़ी उत्तेजना फैली, और दुबारा ऐसा भाषण देनेसे शान्ति भंग होने का खतरा है; और चूँकि ऐसा लगता है कि उक्त ब्रह्मचारी रामरक्षा आज फिर वैसा ही भाषण देना चाहते हैं, इसलिए मैं दण्ड प्रक्रिया संहिताको धारा १४४ के अधीन आदेश देता हूँ कि वे आजसे एक महीने तक सीतामढ़ी सब-डिविजनके किसी भी हिस्सेके किसी भी खुले स्थानमें पाँच या पाँचसे अधिक लोगोंके मजमेंमें कोई भाषण न दें।