हिन्दी सीखें। उन्होंने यह कहते हुए भाषण प्रारम्भ किया कि मैं स्वर्गीय स्वामी विवेकानन्दका[१] बड़ा आदर करता हूँ। और उनकी बहुत-सी पुस्तकें मैंने पढ़ी हैं। साथ ही यह भी बताया कि मेरे आदर्श भी कई बातोंमें उस महापुरुषके आदशोंके समान ही हैं। यदि आज विवेकानन्द जीवित होते तो हमारी राष्ट्रीय जागृतिमें बहुत सहायता देते। फिर भी उनकी आत्मा आपके बीच मौजूद है, इसलिए आप लोग स्वराज्यकी स्थापन के लिए अधिकसे-अधिक कार्य करें। आप लोग सबसे पहले अपने देशको प्यार करें। और एक हृदय बनें। श्री गांधीने सबको स्वदेशी पहनने, चरखा कातने और शराबकी आदत छोड़नेकी सलाह दी। उन्होंने बताया कि मुझे पुलिसके अत्याचारोंकी ख़बरें मिली हैं। उन्होंने पुलिससे कहा कि वह जनतापर जुल्म न करे क्योंकि लोग उनके देशभाई ही तो हैं। उन्होंने पुलिसको सलाह दी कि वह अपना कार्य करे, किन्तु जो लोग देशके लिए काम कर रहे हैं उसमें रुकावट न डाले। पुलिस सरकारकी नौकर नहीं बल्कि अपने देशभाइयोंकी नौकर है। उन्होंने कहा, मैं यह नहीं चाहता कि पुलिसके लोग अपनी नौकरी छोड़ दें। किन्तु मेरा कहना है कि समय आनेपर जब उन्हें उनका कर्त्तव्य बताया जाये तब वे उसका पालन करनेके लिए तैयार रहें। उन्होंने श्रोताओंसे कहा कि वे सरकारी नौकरीके पीछे न फिरें बल्कि स्वतन्त्र जीवन बितानेकी कोशिश करें। उन्होंने सदा इस विचारको अपनी दृष्टिके सामने रखनेकी सलाह दी। उन्होंने कलकत्ताके राष्ट्रीय विद्यालयकी भी चर्चा की और बताया कि अन्य विद्यालय खोलनके लिए भी धन मौजूद है।
रेकर्ड्स ऑफ इन्टेलिजेन्स ब्रांच, आई॰ जी॰ पी॰; पश्चिमी बंगाल
१५१. भाषण : कलकत्ताके मिर्जापुर चौकमें[२]
१ फरवरी, १९२१
श्री गांधीने प्रारम्भमें ही यह जानना चाहा कि क्या श्रोताओंमें अधिक संख्या छात्रोंकी है। जब उन्हें सूचित किया गया कि वहाँ छात्र बड़ी संख्यामें उपस्थित हैं और कुछके माता-पिता तथा अभिभावक भी उपस्थित हैं तब उन्हें अत्यन्त प्रसन्नता हुई। उन्होंने भाषण देते हुए बताया कि यदि लोग निरन्तर दृढ़ताके साथ अहिंसाका पालन करते रहें तो स्वराज्य आठ मास या एक वर्षके अन्दर मिल सकता है। यदि
- ↑ १८६३–१९०२; रामकृष्ण मिशनके संस्थापक।
- ↑ यह सभा ड्यूक ऑफ कनॉट द्वारा पुनर्गठित बंगाल विधान परिषद्के उद्घाटनके दिन मॉन्टेग्यु-चैम्सफोर्ड सुधारोंके प्रति लोगोंकी निराशा व्यक्त करनेके लिए की गई थी। इसकी अध्यक्षता विपिनचन्द्र पालने की थी। इसी प्रकारकी सभाएँ विलिंग्डन स्क्वेयर और छः अन्य स्थानोंमें भी की गई थीं। गांधीजी, मुहम्मद अली तथा पं॰ मोतीलाल नेहरू इन सभाओंमें उपस्थित रहे।