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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अहमदाबादका मान गुजरातका मान है और गुजरातका मान हिन्दका मान है। अगर हम आजसे ही जुट जायें तभी अवसरके अनुकूल पूरी तैयारी कर सकेंगे। क्या करना चाहिए, इसपर बादमें विचार करेंगे।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ९-१-१९२१
 

१०९. टिप्पणियाँ

लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय स्वराज्य कोष

असहयोग के प्रस्ताव के साथ-साथ लोकमान्यकी स्मृतिमें स्वराज्य कोषके लिए चन्दा इकट्ठा किए जानेका प्रस्ताव भी पास किया गया है। कांग्रेसके पिछले अधिवेशन में उस कोष में पैसा भी जमा किया गया था। इसमें तो तनिक भी सन्देह नहीं कि इस कोषमें यथाशक्ति चन्दा देना सभीका कर्तव्य है। थोड़े लोग ज्यादा पैसा दें, इसकी अपेक्षा ज्यादा लोग थोड़ा-थोड़ा पैसा दें और इस तरह बहुत-सा धन एकत्रित हो जाये, इसमें हमारी शोभा है; स्वर्गीय श्री तिलकको ‘लोकमान्य’ की जो उपाधि दी गई थी उसकी सार्थकता भी इसी में है। एक व्यापारी एक करोड़ रुपया दे दे, इसमें तिलककी ‘लोक-मान्यता’ नहीं है; अपितु करोड़ों स्त्री-पुरुषोंसे हम करोड़ रुपया इकट्ठा करें, उसका महत्व अधिक होगा और उससे लोकमान्यकी लोकमान्यता अधिक प्रमाणित होगी। इस कोषको इकट्ठा करने में हमारा अपना स्वार्थ है, क्योंकि हमें उसका उपयोग अपनी भलाईके लिए करना है। स्वराज्य लोकमान्यका जीवन-मन्त्र था। हमारे लिए वह हमारे परित्राणका द्वार है, हमारे सुखकी चाबी है, गरीबोंकी भूखके निवारणका उपाय है, नंगोंको ढकनेका साधन है, और पापोंको नाश करनेका हथियार है। अतएव लोकमान्यकी पूजामें अपनी ही हित-सिद्धि निहित है। इस कोषको इकट्ठा करने में ढील नहीं की जानी चाहिए, संकोच नहीं किया जाना चाहिए। चूँकि हमें इस कोषके लिए असंख्य लोगोंसे चन्दा उगाहना है; इसलिए चन्दा उगाहनेवाले लोग भी बहुत होंगे। उन्हें ईमानदारीकी प्रतिज्ञा लेकर इस कामको हाथमें लेना होगा। इस वर्ष हमें एक ही कोष और वह लोकमान्यके नामपर इकट्ठा करना है। इसे इकट्ठा करने में प्रत्येक योग्य प्रवृत्तिको आश्रय मिल सकता है। कोषकी रकम एक करोड़ रुपयेसे कदापि कम नहीं होनी चाहिए; हमें इस बातपर आग्रह रखना चाहिए। इस रकमसे हम अपनी जरूरी शालाएँ खोल सकते हैं और ऐसे अनेक काम कर सकते हैं।

इस कोषको इकट्ठा करनेके लिए हमें गाँव-गाँव जाना चाहिए। हर शहरके, हर मुहल्लेके लोगोंतक स्वराज्यका पैगाम पहुँचाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि लोग यह काम बिना किसी विलम्बके हाथमें ले लेंगे।

ड्यूक ऑफ कनॉट

अब माननीय डयूक ऑफ कनॉटके यहाँ पधारनेका समय आ गया है। हमारा उनसे बैर नहीं है। वे अच्छे व्यक्ति हैं; लेकिन वे अंग्रेजी-शासनके अधीन हैं। फिलहाल तो