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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हुई। आशा है कि आप अपने समाचारपत्र में[१]इसका वर्णन मुक्त कंठसे करेंगे। यदि हमें एक सालके अन्दर ही स्वराज्य प्राप्त करना है तो हमारे लिए आन्दोलनको अधिकसे-अधिक शक्ति सम्पन्न करना आवश्यक है।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
महादेव देसाईको हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य: नारायण देसाई

 

१०७. पत्र: लाजपतरायको

८-९ जनवरी १९२१[२]

मुझे आशा है कि आप पं० गंगारामके मामले की[३] जाँच पड़ताल कर रहे हैं। जो पत्र मुझे मिले हैं उनसे उनपर बड़ा कलंक लगता है। लेकिन मैं उन पत्रोंके बारेमें तबतक कुछ भी प्रकाशित नहीं करूंगा जबतक मुझे इस सम्बन्धमें आपका पत्र प्राप्त न हो जाये।

क्या आप पंजाब में असहयोग आन्दोलनके संगठनका भार लेना स्वीकार कर सकते हैं? मुझे मालूम है कि लाला हरकिशनलालका आन्दोलनके खिलाफ होना आपकी सबसे बड़ी कठिनाई है। परन्तु जबतक जनता साथ देती है तबतक असहयोगकी आवश्यकता और उपयोगिता में विश्वास रखनेवालोंका कर्त्तव्य बिलकुल स्पष्ट है। श्री मालवीयजी तथा लाला हरकिशनलाल दोनों ही सच्चे और बहादुर व्यक्ति हैं इसलिए मुझे तो यही लगता रहता है कि जब उन्हें अपनी स्थितिकी सहज कमजोरी तथा असत्यका आभास होगा तब वे अपने-आप हमारी बात मान लेंगे। मुझे यकीन है कि आप २० तारीखको कार्यकारिणी समितिकी बैठकके[४] लिए जरूर बम्बई पहुँचेंगे।

मैं आपको इस बातका यकीन दिलाना चाहता हूँ कि हमारा भारतके बाहर प्रचार करनेके लिए धन भेजना ठीक नहीं है। यह एक विचित्र संयोग है कि मुझे अभी अमेरिकाके एक मित्रका पत्र भी मिला है जो मेरे इस विचारको और भी पक्का बना देता है। यह वर्ष हमारी कसोटीका है। मेरी प्रार्थना है कि इसमें एक-एक कौड़ी भी बचाई जानी चाहिए। आज हम जितने आदमी और जितना

  1. हिन्दू
  2. मूल पत्रसे यह स्पष्ट नहीं होता कि पत्र ८ को लिखा गया था या ९ को
  3. पं० गंगारामने पंजाबमें राष्ट्रीय स्कूल खोले थे; जनताने उनके विरुद्ध कुछ आरोप लगाये थे। देखिए “पत्र: गंगाराम शर्माको”, २१-२-१९२१।
  4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकी।