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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कांग्रेसन वकीलोंसे वकालतका धन्धा छोड़ने की दिशामें और अधिक प्रयत्न करने तथा देशकी सेवाके लिए अपना सारा समय अर्पण कर देनेका अनुरोध किया है। जिन वकीलोंने इतनी भी बचत नहीं की है कि गुजारा चल सके उन वकीलोंको कांग्रेस गुजर करने लायक पैसा अवश्य देगी। वकील अदालतोंमें अपनी शक्ति और समयका अपव्यय कर रहे हैं। देशके कार्योंके लिए उसकी बहुत ज्यादा जरूरत है।

कांग्रेसनें विद्यार्थियोंके सम्बन्धमें उनके माता-पिताओंका क्या कर्त्तव्य है, इसका भी निर्देश किया है। मैं इस समय उन सबके समर्थन में कोई दलील न देकर कांग्रेसके उक्त निर्देशको ही आपके सम्मुख प्रस्तुत करना चाहता हूँ। आपका फर्ज बालकोंको स्कूलोंसे निकालने के साथ-साथ उन्हें अन्य कार्योंमें निरत करना भी है। अगर उन्हें शिक्षा दी जा सकती हो तो आपको उसका प्रबन्ध करना चाहिए और यदि फिलहाल शिक्षा न दी जा सके तो आप उन्हें देशके अन्य कार्यों में लगायें। मैं नहीं मानता कि कोई भी बालक ऐसा होगा जो पंजाबमें हुए अत्याचारों और खिलाफतके प्रश्नपर किए गए अन्यायको सुनकर यह न कहे “मैं इस राज्यको निर्मूल करना चाहता हूँ।” मगर कोई विरला विद्यार्थी ऐसा हो भी जो यह न समझता हो तो मैं उससे कहूँगा कि भाई तुमको तुम्हारा स्कूल मुबारक रहे। कांग्रेसने पन्द्रह वर्ष से अधिक उम्रके विद्याथियोंको सरकारी स्कूलों और कालेजोंको तुरन्त छोड़ देनेकी सलाह दी है।

ठीक यही बात सैनिकोंपर भी लागू होती है। कांग्रेसने सैनिकोंसे भी अपना कर्तव्य पूरा करनेका अनुरोध किया है। राजभक्ति देशभक्तिकी अनुवर्तिनी है और जिस समय राजभक्ति देशभक्तिके आड़े आती है उस समय राजभक्तिको छोड़कर देश-भक्तिको स्वीकार करना मनुष्यका धर्म हो जाता है। यदि डायर-जैसा कोई अत्याचारी बेहूदा हुक्म दे तो आप उसके हुक्मको माननेकी अपेक्षा बहादुरीसे उसकी गोली खाकर मरना स्वीकार करें। जलियाँवाला बागमें मारे गये लोगोंके समान निर्दोष लोगोंको गोलीसे उड़ानेकी बनिस्बत खुद गोली खानेके लिए तैयार रहना अधिक अच्छा है। आप अपने देशबन्धुओंके प्रति दयावान बनें। अपने पदका अनुचित उपभोग करके उन पर अत्याचार करने के बजाय आप उन्हें अपना ही समझकर उनके रक्षक बनें। आपको जो धन मिलता है उसे देशके हित खर्च करने से आपको कोई नहीं रोक सकता। आप जो कुछ बचाते हैं उसे प्रकट रूपसे दान दें। आप सार्वजनिक सभाओंमें निर्भय होकर आ सकते हैं। यह सच है कि आप भाषण नहीं दे सकते, लेकिन यदि आप अपने देशकी हलचलोंसे वाकिफ रहनेके लिए सभाओंमें आयें तो सरकार आपको इससे नहीं रोक सकती। इन सब बातोंके अलावा कांग्रेसने स्वदेशीपर ज्यादा जोर दिया है। जब इस देश में लंकाशायरका कपड़ा आना बन्द हो जाये तब आप समझें कि अब भारतकी स्वाधीनताकी नींव रख दी गई है। किन्तु फिर आप यह न समझें कि लंकाशायरकी जगह जापानको देकर आप अपने उद्देश्यको प्राप्त कर लेंगे। हमारी मुक्ति चरखमें है। हर घरमें चरखेकी प्रतिष्ठा करनेकी जरूरत है। यदि अभी देशका हरएक व्यक्ति ――स्त्री, पुरुष और बालक――अपने-अपने खाली वक्त में थोड़ा बहुत सूत कातनेका व्रत ले तो हम देखते-देखते अपने देशवासियोंके शरीर ढकनेके लिए विदेशी कपड़ेपर निर्भर न रहेंगे और प्रतिवर्ष साठ करोड़ रुपया भी बचा लेंगे।