पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/१३१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०३
भाषण: कलकत्ते में नेशनल मदरसेके उद्घाटनपर

हिन्दू-मुस्लिम एकतापर बोलते हुए महात्माजीने कहा कि इस मामलेमें कोई सौदा नहीं करना चाहिए। इस सम्बन्धमें बनिया होनेके बजाय आपको ब्राह्मण और क्षत्रियोंकी तरह उदार हृदय होना चाहिए। सत्यका पुरस्कार सत्य ही है। इसलिए एकताकी कोई शर्त नहीं होनी चाहिए। किसी भी जातिके प्रति कोई अविश्वास या भ्रम नहीं रखना चाहिए। यह नहीं सोचना चाहिए कि दूसरी जाति भविष्यमें कहीं बहुत ताकतवर न हो जाये।

इसके बाद महात्माजीने शराब पीनेकी बुराइयाँ बताई और कहा कि ब्रिटिश शासनमें मदरसोंकी संख्या घट गई है जब कि शराबकी दूकानोंकी बढ़ गई है। लोगोंको शराब पीनेसे उसी तरह बचना चाहिए जैसे कि सरकारको सहयोग देनेसे। सहयोग देना भी नशा है। शराबी स्वराज्य नहीं पा सकते और न गुलाम लोगोंके बच्चे अपने मालिकोंके स्कूलोंमें स्वतन्त्रताको सोख पा सकते हैं।

[अंग्रेजीसे]
सर्चलाइट, १७-१२-१९२०
 

६८. भाषण: कलकत्तमें नेशनल मदरसेके उद्घाटनपर[१]

१३ दिसम्बर, १९२०

श्री गांधीने कहा कि नेशनल मदरसेका उद्घाटन करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। मेरी इच्छा है कि हमारी एक समान भाषा हो। यदि वह हिन्दुस्तानी हो सके तो बेहतर होगा। प्रशिक्षण इस सामान्य भाषाके माध्यमसे दिया जाये। उन्होंने कहा कि साथ ही आप उनके लिए अरबी, फारसी, संस्कृत और अंग्रेजीके विभाग खोलें। जिन्हें इनमें विशेष रुचि है, तो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है। मुझे यह सुनकर कि १२० विद्यार्थियोंने दाखिला ले लिया है, प्रसन्नता हुई है और मुझे आशा है कि इस तरहकी संस्थाओंमें शामिल होकर आप अच्छे ईमानदार और सच्चे विद्यार्थी बन सकेंगे। ये (संस्थापक) बड़ी भारी इमारतें बनानेमें सरकारकी बराबरी नहीं कर सकेंगे, परन्तु निश्चय ही अपनी इस छोटी-सी इमारतमें ये बेहतर शिक्षा दे सकेंगे। जबतक आप अपना प्रशिक्षण स्वयं चलाना नहीं सीखेंगे और अच्छे नागरिक नहीं बनेंगे, तबतक स्वराज्य नहीं मिल सकेगा।

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, १४-१२-१९२०
 
  1. मदरसेकी स्थापना मौलाना अबुल कलाम आजादके नेतृत्वमें एक समितिने की थी।