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५९. तार : खिलाफत कार्यकर्त्ताओंकी लीगको[१]

हैदराबाद (सिन्ध)
[२५ जुलाई, १९२० को अथवा उसके पूर्व][२]

आपको कानून नहीं तोड़ना चाहिए। कानून भंगसे नुकसान पहुँचेगा।
[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे सीक्रेट एक्स्ट्रैक्ट्स, १९२०, पृष्ठ ११०६
 

६०. भाषण : हैदराबाद (सिन्ध) में

२५ जुलाई, १९२०

२५ जुलाईको हैदराबाद नागरिक संघके तत्त्वावधानमें आयोजित सभामें गांधीजीने सार्वजनिक रूपसे व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने खिलाफतकी रक्षाके लिए स्वदेशीको एक अस्त्रके रूपमें अपनानेकी सलाह दी। उन्होंने कहा, स्वदेशीके द्वारा लंकाशायरकी मिलोंको भारी क्षति पहुँचेगी और उसके परिणामस्वरूप ये प्रभावशाली मिल-मालिक उनकी मिलोंमें तैयार किये गये कपड़के बहिष्कारका कारण जानना चाहेंगे। जब उन्हें यह सारी गड़बड़ क्यों हो रही है इसकी हकीकत मालूम होगी तब वे अपने व्यापारकी खातिर इंग्लैंडमें खिलाफत और जलियाँवाला बागके मामलोंमें सन्तोषजनक निपटारा करानेकी दिशामें कदम उठायेंगे।

गांधीजीने भारतीय मिलोंमें बने सूती वस्त्रोंतक के बहिष्कारकी सिफारिश की क्योंकि वे उनके कताई सम्बन्धी कुटीर-उद्योगमें बाधक थे, जिसके कल्याणके लिए वे इतने चिन्तित थे। उन्होंने कहा सभी महिलाओंको चाहिए कि वे सम्मानपूर्ण जीविकोपार्जन के लिए अपने-अपने घरोंमें बैठकर चरखा चलायें। जो स्त्रियाँ मिलोंमें काम करने जाती हैं उनका विवाह नहीं होना चाहिए क्योंकि अक्सर ऐसा देखा गया है कि ऐसी औरतें चरित्रहीन ओवरसीयरोंके दबावमें आकर अपना सतीत्व खो बैठती हैं। गांधीजीने शिकायतके स्वरमें कहा कि उनकी पत्नी भी मिलोंमें तैयार किये गये वस्त्र पहनती हैं जबकि उन्हें पूर्ण रूपसे हाथके कते-बुने वस्त्र ही पहनने चाहिए।

  1. राजद्रोहात्मक सभा कानून (सेडीशस मीटिंग्स ऐक्ट) को लागू करनेके क्षेत्रका दायरा बढ़ानेके बारेमें दिल्ली खिलाफत लीगको भेजा गया था।
  2. यह तार २७ जुलाईको खुफिया विभाग द्वारा रोक लिया गया था। गांधीजी २३, २४ और २५ जुलाईको हैदराबाद (सिन्ध) में थे।