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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

विषयमें अन्तिम राय चाहे जो हो, मैं विश्वास करता हूँ कि दाण्डिक पुलिस तुरन्त ही हटा ली जायेगी।

हृदयसे आपका,
 

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७१२५) की फोटो-नकलसे।

४९. पत्र: महादेव देसाईको

[२९ फरवरी, १९२० के आसपास][१]

भाई महादेव,

तुम्हें लम्बा पत्र लिखनेका समय निकाल ही नहीं पाता। डाक्टर मेहताने[२] अनायास ही तुम्हारे स्वास्थ्यका समाचार दिया। मैं खिलाफतके सिलसिले में आया था, वापस अहमदाबाद जा रहा हूँ। सिंहगढ़ कब आऊँगा सो तो भगवान् ही जाने।[३] मेरा खयाल है कि आनन्दानन्द[४] तुम्हें खूब पत्र लिखते रहते हैं।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती प्रति (एस० एन०११४१०) की फोटो-नकलसे।

५०. अमृतसरकी अपीलें[५]

तो आखिर जो अच्छेसे-अच्छा वकील मिल सकता था, उसकी पैरवीके बावजूद ये अपीलें खारिज कर दी गई है। प्रीवी कौंसिलने भी इस गैर-कानूनी कार्य-विधिपर अपनी मुहर लगा दी है। मैं स्वीकार करूँगा कि यह फैसला मेरे लिए सर्वथा अप्रत्याशित नहीं था, यद्यपि जब सर साइमन अपील करनेवालोंकी ओरसे अपनी दलीलें पेश कर रहे थे उस समय न्यायाधीशोंने जो कुछ कहा था, उससे लोगोंको फैसला

  1. यह पत्र कलकत्तासे लिखा गया जान पड़ता है जहाँ २९, फरवरी १९२० को हुए खिलाफत सम्मेलनमें गांधीजीने भाग लिया था। वे २ मार्च, १९२० को वापस अहमदाबाद पहुँच गये थे।
  2. जीवराज मेहता।
  3. गांधीजी सिंहगढ़ २६ मार्च, १९२० को पहुँचे थे।
  4. स्वामी आनन्दानन्द पा आनन्द, अहमदाबाद में सितम्बर, १९१९ में नवजीवनका प्रकाशन आरम्भ हुआ तभीसे अनेक वर्षांतक नवजीवन मुद्रणालपके व्यवस्थापक रहे।
  5. २४ जुलाई, १९१९ को प्रीवी कौंसिलने अमृतसरके उन २१ नागरिकोंको अपील करनेकी इजाजत दी थी जिन्हें अप्रैल १९१९ को अमृतसरमें हुए. उपद्रवके सिलसिलेमें लाहौर में सैनिक अदालत द्वारा सजा दी गई थी। उन्होंने अपील इस आधारपर की थी कि वाइसरायको सैनिक कानून अध्यादेश जारी करनेका अधिकार नहीं है और अदालतोंने जो कार्य-विधि अपनाई थी वह अनियमित थी।