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पत्र: एल० फ्रेंचको

सिर्फ स्वदेशीका प्रचार करने के उद्देश्यसे किया गया है और हम मानते है कि व्यवस्था करनेवाले भाई इसमें सेवा करने के इरादेसे ही शामिल हुए हैं। इसलिए हम इसका स्वागत करते हैं। व्यवस्थापक आशा करते हैं कि दो-चार व्यक्तियोंके शेयर लेनके बजाय बहुत सारे व्यक्ति थोड़े-थोड़े शेयर खरीदेंगे। व्यवस्थापकोंका यह भी उद्देश्य है कि इस कम्पनीके नामपर सट्टा बिलकुल नहीं होने दिया जायेगा और शेयरोंका लेन-देन केवल सट्टा करने के उद्देश्यसे नहीं करने दिया जायेगा। हिस्सेदार भी बहुत ब्याज मिलनेके इरादेसे अपने हिस्सेका पैसा नहीं देंगे बल्कि सिर्फ स्वदेशीको प्रोत्साहन देने के उद्देश्यसे ही शेयर खरीदेंगे, यह उम्मीद भी रखी गई है। ऐसी शर्तोंसे युक्त कम्पनीका स्वागत किया ही जाना चाहिए। इससे हमें उम्मीद है कि सामान्य वर्गके व्यक्ति इस कम्पनीके शेयर खरीदकर इस उपक्रमको बढ़ावा देंगे और व्यवस्थापक भी चाहे जैसी मुश्किलें क्यों न आयें तो भी अपने उद्देश्यसे कभी पीछे नहीं हटेंगे।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २९-२-१९२०

४८. पत्र: एल० फ्रेंचको

[कलकत्ता][१]
२९ फरवरी, १९२०

प्रिय श्री फ्रेंच,

शाहपुरमें भरतीके सम्बन्धमें लिखे मेरे पत्रके[२] जवाब में आपके १९ तारीखके पत्रके लिए धन्यवाद देता हूँ। श्रीमान्ने[३] मामलेकी जाँच करनेका जो आश्वासन दिया है उसके लिए मैं उनका आभार मानता हूँ। मुझे खेद है कि जो बयान मेरे सामने लिये गये थे, उन्हें भेजने में कुछ अपरिहार्य विलम्ब हो गया है। मैंने उन्हें अनुवादके लिए लाहौर छोड़ दिया था और यह कह दिया था कि उन बयानोंका अनुवाद हो जानेके तुरन्त बाद वे मेरे पास भेज दिये जायें। मैं नित्य उनकी बाट देखा करता हूँ और जैसे ही वे मुझे प्राप्त होंगे, मैं उन्हें श्रीमान्के अवलोकनार्थ उनके पास भेज दूँगा।

मैं यह भी निवेदन कर दूँ कि दाण्डिक पुलिस अब भी लाक तहसील सरगोधामें, भक लुढकाँ, कोट इनोमान और भलवल तहसीलके कोट राँझामें तैनात है। बयानोंके

  1. यद्दपि यह पत्र गांधीजीके निजी पत्र लिखनेके कागजपर, जिसपर उनका साबरमतीका पता छपा हुआ है, लिखा है, तथापि निश्चय ही यह कलकत्तासे भेजा गया होगा, क्योंकि २९ फरवरी, १९२० को वे वहीं थे।
  2. देखिए "पत्र : एल० फ्रेंचको", १५-२-१९२०।
  3. पंजाबके लेफ्टिनेंट गवर्नर।