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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पंजाबमें उनके घर जाकर रहा। सगी बहन जितनी सेवा कर सकती है उतनी ही इन्होंने मेरी सेवा की। इस तरह में इनका ऋणी बना।

जो बहन मेरे संदेशको देशके [कोने-कोनेमें] पहुँचायेगी उसके तो मैं चरण स्पर्श करूँगा। लेकिन मैं तो इस समय यह कहना चाहता हूँ कि इस बहनने मेरे सन्देशको नहीं बल्कि पंडित रामभजदत्तके सन्देशको आपतक पहुँचाया है। इस अवसरपर इस पतिव्रता बहनको कुछ और नहीं सूझा; इन्होंने अपने पतिके सन्देशको ही आपतक पहुँचाया है। ऐसा करके उन्होंने अपने पतिके सम्मानमें वृद्धि की है। चौधरीजीका सन्देश समस्त पंजाबका सन्देश है। यह सन्देश कहता है कि आप कभी न डरें और चाहे जो कुछ भी हो लेकिन कभी न हारें; ईश्वरके प्रति प्रेमभाव रखकर आप शांति और सबसे काम करें। इस सन्देशको हमें अपने हृदयोंमें लिख लेना चाहिए।

जिस तरह सुशील स्त्रियोंका उसी तरह अच्छे पुरुषोंका भी मुझे मोह है। आजको सभाके अध्यक्ष महोदय अपनी सादगी और मिलनसार स्वभाव आदि गुणोंके कारण प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपने पिताश्री द्वारा किये गये कार्यों तथा यशमें वृद्धि की है। सुधारकके रूपमें तथा अन्य तरहसे भी श्री रमणभाईने बहुत कार्य किया है। उनके सद्गुणों को अपनाकर हम भी कुछ कार्य कर सकें तो कहा जा सकता है कि हमने बहुत किया।

मैं एक बार फिर आपको ओरसे श्रीमती सरलादेवी और अध्यक्ष महोदयके प्रति आभार प्रकट करता हूँ।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ७-३-१९२०

४४. एक पत्र[१]

[२७ फरवरी, १९२० के बाद][२]

प्रिय महोदय,

मैं इस पत्रके साथ उस बयानकी[३] एक-एक प्रति भेज रहा हूँ जो मैने उच्च न्यायालयके पंजीयकको भेजा है और जिसे में आगामी ३ मार्चको, जब मेरे विरुद्ध जारी किये गये कैफियत-तलबी आदेशकी सुनवाई होगी, सम्मानित न्यायालयके सामने पढ़ना चाहता हूँ। मैं श्री एम० एच० देसाईके वक्तव्यको एक नकल भी संलग्न कर रहा हूँ।

आपका विश्वस्त,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७१२८) से।

  1. पत्र किसको लिखा गया, यह ज्ञात नहीं है।
  2. पत्रके मजमूनसे लगता है कि यह "पत्र: बम्बई उच्च न्यायालय के पंजीयकको", २७-२-१९२० के बाद लिखा गया था।
  3. देखिए "पत्र: बम्बई उच्च न्यायालयके पंजोयकको", २७-२-१९२० के संलग्न वक्तव्य।