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३५. भाषण: खिलाफत और हिन्दू-मुस्लिम एकतापर

बनारस

२० फरवरी, १९२०

...टाउन हालके मैदान में तीसरे पहर ३-३० बजे खिलाफतकी एक आम सभा हुई...। मौलाना शौकत अली[१] और अबुल कलाम आजादके अतिरिक्त सभामें आनेवाले विशिष्ट व्यक्तियोंमें श्री गांधी, पंडित मदनमोहन मालवीय, पंडित मोतीलाल नेहरू, लाला हरकिशनलाल और पंजाबके अन्य नेतागण थे ...। हकीम मुहम्मद हुसैन खाँको सभापति चुना गया...।

भारतके प्रेमी और प्रेमभाजन श्री गांधी गगनभेदी हर्षध्वनिके बीच उठे। उन्होंने खिलाफतके प्रश्न तथा हिन्दू-मुस्लिम एकतापर अपने विचार प्रकट करते हुए इसपर जोर दिया कि ये दोनों जातियाँ अपने-अपने धर्मके आदेशोंका पालन करते हुए भी एक दूसरेके प्रति शुद्ध और सच्चा प्रेमभाव रख सकती है। उन्होंने श्री कैंडलरसे[२] हुई भेंटका उल्लेख भी किया, जिसमें श्री कैंडलरने उनसे पूछा था कि क्या हिन्दू लोग मुसलमानोंके साथ रोटी-बेटीका सम्बन्ध स्थापित करनेको तैयार हैं। महात्माजीने कहा कि मैंने उत्तरमें उनसे कहा कि हिन्दू-मुस्लिम एकताके लिए यह कदापि जरूरी नहीं कि दोनों जातियोंके बीच परस्पर विवाह-सम्बन्ध और खानपान हो। मैंने उनसे पूछा:

जब जर्मन और अंग्रेज एक ही जातिके हैं और एक ही धर्मके अनुयायी हैं और उनका आपस में विवाह आदिका सम्बन्ध भी था तब यदि एकताके लिए यही सब जरूरी है, तो उन्होंने एक-दूसरेसे युद्ध क्यों किया?

श्री गांधीने हिन्दुओंसे जोरदार शब्दोंमें अपील की कि वे खिलाफतके आन्दोलनमें, जिसका उद्देश्य बड़ा पवित्र है, मुसलमानोंकी मदद करें।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २३-२-१९२०
  1. एक प्रमुख राष्ट्रीय मुसलमान और राजनीतिक नेता, जिन्होंने अपने भाई मौलाना मुहम्मद अलीके साथ खिलाफत आन्दोलनमें प्रमुख भाग लिया था।
  2. एडमंड कैंडलर, विख्यात अंग्रेजी पत्रकार; उन दिनों पंजाबके प्रचार-अधिकारी; उन्होंने गांधीजीको कुछ खुले पत्र लिखे थे, जिनमें उन्होंने खिलाफतके सवालपर गांधीजीके रुखपर शंकाएँ उठाई थीं।