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पत्र : मोतीलाल नेहरूको

द्वारा इस्तीफा दिये जाने के समयतक बयान लेनेका काम लगभग पूरा हो चुका था, अत: आपके स्थानपर कोई अन्य आयक्त नियुक्त नहीं किया गया।

माननीय फजलुल हकको उनके आने के तुरन्त बाद किसी महत्त्वपूर्ण कार्यके सम्बन्धमें वापस बुला लिया गया था। अतएव उनके स्थानपर बम्बईके वकील श्री एम० आर० जयकरको नियुक्त किया गया।

हमने अपना काम १७ नवम्बर, १९१९ को शुरू किया।

हमने १७००से ऊपर गवाहोंके बय, नोंकी जाँच की और लगभग ६५० बयानोंको प्रकाशनार्थ छाँटा है, जिन्हें आप सायमें भेजी जा रही रिपोर्टके खण्डोंमें शामिल पायेंगे। जो बयान शामिल नहीं किये गये हैं, वे अधिकतर ऐसे बयान थे जो एक ही तरहकी बातें प्रमाणित करते थे।

हममें से किसी-न-किसीके द्वारा प्रत्येक स्वीकृत बयानकी जाँच कर ली गई है और उसे तभी स्वीकृत किया गया है जब हम लोग बयान देनेवालेकी प्रामाणिकतासे सन्तुष्ट हो गये। यह बात मनियाँवाला तथा आसपाससे प्राप्त कुछ उन बयानोंपर लागू नहीं होती, जिनमें से अधिकांश बयान हमारी प्रार्थनापर श्री लाभसिंह, एम० ए०, बैरिस्टर द्वारा एकत्र किये गये थे। ऐसे प्रत्येक बयानके नीचे उनका नाम दिया हुआ है। गवाहसे पर्याप्त प्रश्नोत्तर किये बिना कोई बयान स्वीकार नहीं किया गया।

आप देखेंगे कि कई गवाह प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं और अपने जिले या गाँवके नेता है।

यह भी देखेंगे कि कुछ गवाहोंने अधिकारियोंके विरुद्ध गम्भीर आरोप लगाये हैं। प्रत्येक मामले में हमने गवाहोंको चेतावनीके रूपमें सूचित कर दिया था कि आप लोग जो आरोप लगा रहे हैं उनके परिणाम क्या निकल सकते हैं, और उनको तभी शामिल किया गया जब गवाह अपने बयानोंपर, यह जानने के बावजूद दृढ़ रहे कि वे व्यक्तिगत जोखिम उठा रहे हैं और उनकी अतिशयोक्ति या उनके असत्य भाषणके कारण हमारे उद्देश्यको क्षति पहुँच सकती है, दृढ़ रहे। हमने उन बयानोंको अस्वीकार कर दिया है जिनका पुष्टीकरण नहीं किया जा सका, यद्यपि कुछ मामलों में हम बयान देनेवालोंकी बातपर विश्वास करनेको तैयार थे। उदाहरणार्थ, औरतोंके प्रति दुर्व्यवहारके सम्बन्धमें दिये गये बयान ऐसे ही थे।

यह कहने की जरूरत नहीं कि हमारी जाँच मार्शल लॉके क्षेत्र तथा उन जिलों[१] तक ही सीमित थी, जिनमें उसकी घोषणा की गई थी। मुख्य-मुख्य स्थानोंपर हम लोग स्वयं गये। इस प्रकार लाहौर, अमृतसर, तरनतारन, कसूर, गुजराँवाला वाला, वजीराबाद, निजामाबाद, अकालगढ़, रामनगर, हाफिजाबाद, साँगला हिल, शेखूपुरा, चूहड़खाना, लायलपुर, गुजरात, मलकवाल और सरगोधा हममें से कोई-न-कोई स्वयं गया था। अधिकांश स्थानों में विशाल आम सभाएँ की गई और जनतासे अपने बयान देनेके लिए कहा गया। पहलेसे लिये गये बयानोंको इन सभाओंमें लोगोंके सामने रखा गया और उन्हें आमन्त्रित किया गया कि जो लोग इन बयानोंकी यथार्थताको चुनौती देना

  1. अमृतसर, लाहौर, गुजराँवाला, गुजरात और लायलपुर।