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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस स्मारकके लिए चन्दा दें और इस प्रकार हमें अपने देशमें जागृति लाने में, जिस स्वतन्त्रताका उपभोग वे स्वयं कर रहे हैं उसे उसी ब्रिटिश संविधानके अन्तर्गत प्राप्त करने में और जिस हिन्दू-मुस्लिम ऐक्यके बिना भारत सच्ची प्रगति नहीं कर सकता उस ऐक्यको चरितार्थ करनेका जो प्रयास हम कर रहे हैं, उस प्रयास में वे भी हाथ बँटायें।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १८-२-१९२०

३४. पत्र: मोतीलाल नेहरूको[१]

बनारस

२० फरवरी, १९२०

सेवामें
माननीय पंडित मोतीलाल नेहरू
पदेन अध्यक्ष, उप-समिति
आल इंडिया कांग्रेस कमेटी
लाहौर
महोदय,

१४ नवम्बर, १९१९को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी पंजाब उप-समितिने आपको तथा माननीय फजलुल हक,[२] श्री चित्तरंजन दास, श्री अब्बास तैयबजी[३] और मो० क० गांधीको आयुक्त और श्री के० संतानम्को सचिव नियुक्त किया था, जिनका काम गत अप्रैल में हुई पंजाबको घटनाओंसे सम्बन्धित बयानोंकी, जो पहले ही उप-समिति द्वारा या उसकी ओरसे इकट्ठे किये जा चुके हैं, जाँच करना, उनकी बारीकीसे छानबीन करना, तथ्योंका मिलान करना और विश्लेषण करना, तथा जहाँ आवश्यक समझा जाये वहाँ और भी तथ्य जुटाकर इन बयानोंकी पूर्ति करना तथा उसके बाद उनसे सम्बन्धित अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करना था।

राष्ट्रीय कांग्रेसके अध्यक्ष मनोनीत होनेपर आपने आयुक्तके पदसे इस्तीफा दे देना जरूरी समझा। उप-समितिने उसे विधिवत् स्वीकार कर लिया था और चूँकि आपके

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसको पंजाब उप-समिति द्वारा नियुक्त किये गये आयुक्तोंने रिपोर्टका जो मसविदा तैयार किया था उसके साथ गांधीजीने यह पत्र पंडित मोतीलाल नेहरूको भेजा था। गांधीजी द्वारा तैयार किया गया मूल मसविदा उपलब्ध नहीं है। इस हस्तलिखित रिपोर्टको गांधीजीने श्री एम० आर० जयकरकी सहायतासे अन्तिम रूप दिया था। देखिए "पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट", २५-३-१९२०।
  2. राष्ट्रीय मुस्लिम नेता; द्वितीय विश्व युद्ध के समय बंगालके मुख्य मन्त्री।
  3. १८५३-१९३६, गुजरातके राष्ट्रीय मुस्लिम नेता।