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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

को पदच्युत करनेकी माँग, ३२१-
२२, ५५५
औरंगजेब, ५६१


कताई, ४५९, ४६८; और महिलाएँ,
३४-३८; -का महत्व, ५३८-३९; - से
समृद्धि, ३४-३५
कनिका, के महाराज, १६२
कन्नड़, ५३४
कन्हैयालाल, लाला, १८८, २०४-०५, की
गवाही, १९०
कपूर, बिहारीलाल, २७३
कपूर, लाला बलीराम, २७५
कबीर, ३३२
कमरुद्दीनखाँ, मियाँ, २१३
कम्बो, मायासिंह, २८७
कयाम, २०९
करतारसिंह, सरदार, २९२, २९५
करमचन्द, लाला, २७१
करसनदास, ५४१
कर्जन, लॉर्ड, ११२
कलकत्ता विश्वविद्यालय
अंग्रेजीको शिक्षाके
माध्यम के रूप में
आयोग, -द्वारा
अपनानेका विरोध, ३६९-७०
कसूर, में मार्शल लॉ, ४५, २४६-५३
कांग्रेस, देखिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
कांग्रेस-लीग योजना, १४०
काजीजी, न्यायमूर्ति, ८५
काठियावाड़, के लोगोंके गुण-अवगुण,
३७६-७७
काठियावाड़ हितवर्धक सभा, ७४ पा॰ टि॰
कादम्बरी, ३३४
कानून
भारत रक्षा कानून, देखिए भारत रक्षा
अधिनियम

रौलट कानून, देखिए रौलट
सुधार कानून, ५०४
कॉमन्स सभा, ९७ पा॰ टि॰
कार्बेरी, कप्तान, २५७
कालेलकर, दत्तात्रेय बालकृष्ण, ६, ३१,
५०८ पा॰ टि॰
काशीराम, २९५
काहनचन्द, २०२
कानसिंह, २८९
किंकेड, सी॰ ए॰, १६३
किचनर, लॉर्ड, ५७०
किचलू, डा॰ सैफुद्दीन, ३४, १५५, १८०-
८१, २१०, २१५, ५५० का निष्का-
सन १८१-८३, २१५, २४६-४७, २५५,
३०६, ३१५, ३१८, ३२०
किचिन, १८७-८८, २९७, २०४
किशनचन्द, २९०
कुन्दनलाल, २८२
कुरान, ७३
कुस्तुन्तुनिया, -को टर्कीकी राजधानी बनाये
रखनेकी माँग, ३४२, ३८४, ४४६,
४९९; पर टर्कीकी विजय, ५३७
कृपलानी, गिरधारी, ४११-१२
कृपलानी, बी॰, ४११
कृष्णसहाय, १६२
केदारनाथ, डा॰, १८४
केन्द्रीय विधान परिषद्, १४०, १४२, ४०५
केलकर, न॰ चि॰, ५३१
केस्टीवन, सी॰ एच॰, १६३
कैंडलर, एडमंड, ४७, ५०; और खिलाफत,
४९८-५०२
कैनेडी, ५८, ८५-८६, ८८
कैम्बेल, एल॰ डब्ल्यू॰ वाई॰, २६२
कैलेनबैक, ३९९, ४५३
कोटवाल, ४००
अधिनियम,
कोटूमल, १८२