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पत्र: एल० फ्रेंचको


मेरे सामने जो वक्तव्य दिये गये हैं, उनसे प्रकट होता है कि ग्रामीणोंको बड़ी संख्यामें एक साथ बुलाया गया और अमानवीय यातनाएँ देने और तरह-तरहसे बेइज्जत करनेकी धमकी देकर उनसे कहा गया कि अपने बेटोंको, यदि वे सेनामें भरती होनेकी उम्रके है तो, भरती कराओ। कहा जाता है कि इसके लिए आदमियोंको नंगा किया गया, उनके चूतड़ोंपर कोड़े लगाये गये और कोड़े लगाते समय उन्हें काँटोंपर झुकाये रखा गया। और फिर औरतोंको इस तरहसे अपमानित किये गये मर्दोको घसीट ले जानेको मजबूर किया गया। औरतोंको भी इस कारण नग्न किया गया और उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया कि उनके पति और लड़के अपनेको छिपाकर रख रहे थे। यह भी बताया गया है कि पुरुषोंपर झूठे आरोप लगाकर और अन्य अनेक प्रकारसे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। मृत तहसीलदारकी हत्याके सिलसिलेमें कई गाँवोंमें दाण्डिक पुलिस तैनात कर दी गई है, और पुलिसवाले गरीब ग्रामीणोंसे गैर-कानूनी ढंगसे पैसे वसूल करते हैं।

मेरी नम्र रायमें यह एक ऐसा मामला है जिसकी बारीकीसे जांच-पड़तालकी जरूरत है और जिन अधिकारियों द्वारा ग्रामीणोंका सताया जाना सिद्ध हो जाये, उन्हें ऐसा करनेके अवसरसे वंचित किया जाये। मेरा यह खयाल भी है कि दाण्डिक पुलिस तुरन्त हटा ली जानी चाहिए और गाँववालोंसे जबरदस्ती रोज-रोज जो रकम वसूल की जाती है, उससे उन्हें मुक्ति मिलनी चाहिए।

हमें जो बयान दिये गये हैं, वे इतने गम्भीर है कि मैं उन्हें प्रकाशित करनेसे पहले कमसे-कम श्रीमान्के ध्यानमें ले आना अपना कर्तव्य समझता हूँ। यदि श्रीमान्उ न्हें देखना चाहे तो मैं इन बयानोंको उनके पास सहर्ष भेज दूँगा। इस मामलेपर में श्रीमान्से मिलनेको, तथा सच्ची स्थितिको प्रकाशमें लानेके लिए जो भी मदद कर सकता हूँ वह देनेको, भी तैयार हूँ।

मैं आज कलकत्ता मेलसे बनारसके लिए रवाना हो रहा हूँ। मेरा पता होगा: मार्फत पंडित मदनमोहन मालवीय। मैं वहाँ २० तारीख तक रहूँगा; उसके बादका पता होगा--साबरमती, बी० बी० ऐंड सी० आई० रेलवे। मैं ६ मार्चके बाद किसी दिन श्रीमान्से मिल सकता हूँ। आवश्यक कामके कारण मुझे कमसे-कम इस तारीखतक पंजाबके बाहर रहना होगा।

यदि आप मुझे यह लिखनेकी कृपा करें कि श्रीमान्की इस महत्त्वपूर्ण मामले में क्या इच्छा है, तो मैं उसे एक अनुग्रह मानूँगा।

हृदयसे आपका,

एल० फ्रेंच
पंजाब सरकार कैम्प

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७१२५) से।