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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


फरवरी २९ : गांधीजीने खिलाफत सम्मेलन में भाग लिया।
मार्च २ : फिशरन लन्दनमें मॉण्टेग्युकी ओरसे भारतीय खिलाफत शिष्टमण्डलका स्वागत किया।
मार्च ३ : गांधीजी अदालतकी मानहानिके मुकदमेकी सुनवाईके लिए बम्बई उच्च न्यायालय में उपस्थित हुए; मुकदमेका फैसला मुल्तवी रखा गया।
खिलाफत सभामें भाषण।
मार्च ५ : बम्बईकी सार्वजनिक सभामें प्रेस अधिनियम रद करनेकी माँग की।
मार्च ६ : राष्ट्र संघ (लीग ऑफ नेशन्स) की परिषद्ने प्रस्ताव पास किया जिसमें कुस्तुन्तुनिया और सम्बन्धित खाड़ियोंपर लीगका नियन्त्रण होनेका समर्थन किया।
मार्च ७ : 'डेली टेलीग्राफ' में ब्रिटिश सरकार द्वारा कुस्तुन्तुनियापर अधिकार करनेके निर्णयका समाचार।
गांधीजीने खिलाफतपुर समाचारपत्रोंको वक्तव्य दिया।
मार्च १२ : बम्बई उच्च न्यायालयने अदालतकी मानहानिके लिए चलाये गये मुकदमेंमें गांधीजी और महादेव देसाईकी भर्त्सना की।
मार्च १४ : बंगाल प्रान्तीय खिलाफत समितिके कार्यालयपर पुलिसका छापा।
मार्च १५ : पुलिस और सेना द्वारा टाटा आयरन वर्क्स के हड़तालियोंपर गोलीबारी।
मार्च १७ : लन्दनमें लॉयड जॉर्जने भारतीय खिलाफत शिष्टमण्डलसे भेंट की।
मार्च १९ : खिलाफत दिवस। गांधीजीने बम्बईकी खिलाफत दिवस सभामें भाषण दिया।
मार्च २१ : शोलापुरकी मिलों में मजदूरोंने काम बन्द कर दिया।
मार्च २५ : पंजाब के उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेस उप-समितिकी रिपोर्ट प्रकाशित।
हाउस ऑफ कॉमन्स में एस्क्विथने कुस्तुन्तुनियापर टर्कीके अधिकारका विरोध तथा वहाँ सुलतानका शासन स्थापित करनेका समर्थन किया।
मार्च २९ : भारत सरकारने इस बात की पुष्टि की कि हज के तीर्थस्थान मुसलमानोंके स्वतन्त्र नियन्त्रण में रहेंगे।
मार्च ३१ : मित्र राष्ट्रोंकी सर्वोच्च परिषद् (अलाइड सुप्रीम कौंसिल) ने राष्ट्र-संघ (लीग ऑफ नेशन्स) को आर्मीनियापर शासनाधिकार देनेका प्रस्ताव किया।
गांधीजीने अहमदाबादमें आयोजित चरखा पुरस्कार प्रतियोगिता में भाग लिया।
अप्रैल २ : गांधीजी और रवीन्द्रनाथ ठाकुरने अहमदाबादमें छठी गुजरात साहित्य परिषद् में भाग लिया। रवीन्द्रनाथने भाषण दिया।
साँझको गांधीजीका 'समाजके शिक्षणके लिए साहित्य' विषयपर भाषण हुआ।
शोलापुरमें नरसिंह चिन्तामण केलकरकी अध्यक्षता में बम्बई प्रान्तीय सम्मेलनकी बैठकें शुरू।
रवीन्द्रनाथ ठाकुर गांधीजीके साथ साबरमती आश्रम में ठहरे।
अप्रैल ३ : बम्बई प्रान्तीय सभाने माँग की कि सर माइकेल ओ'डायर और अन्य लोगोंपर एक न्यायिक अधिकरणमें मुकदमा चलाया जाये और उन्हें सजा दी जाये।