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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

देते हैं कि परमश्रेष्ठने बार-बार यह घोषणा की है कि आपकी सरकारने दृढ़तापूर्वक और अक्सर जोर देकर महामहिमके मन्त्रियोंका ध्यान इसलिए भारतीय मुसलमानोंके मामलेकी ओर खींचा है, इस मामलेका मुसलमानोंकी बहुसंख्याके साथ महत्वपूर्ण सम्बन्ध है। अतएव हम महसूस करते हैं कि हमें आपसे यह कहनेका अधिकार है कि आप भारत के मुसलमानोंको पुनः आश्वासन दें कि उन्हें आपका सक्रिय सहयोग और उनके दावोंको हासिल कराने में जोरदार समर्थन अब भी उपलब्ध है। आप यह आश्वासन भी दें कि यदि महामहिमके मन्त्री उपर्युक्त वादों और भावनाओंके अनुसार शर्तोंपर पुनर्विचार करनेके लिए तैयार नहीं होते तो आप अपने ऊँचे पदसे इस्तीफा तक दे सकते हैं। हम सादर निवेदन करते हैं कि यदि भारत पूर्ण स्वायत्त शासन प्राप्त उपनिवेश होता तो उसके उत्तरदायी मन्त्री शान्ति संधिकी शर्तोंके अन्तर्गत किये गये गम्भीर वचन भंग तथा धार्मिक भावनाओंकी अवज्ञा के विरुद्ध इस्तीफा दे देते। यदि दुर्भाग्य से परमश्रेष्ठ हमारा नम्र निवेदन स्वीकार नहीं करेंगे तो हम आगामी पहली अगस्त से सरकारसे सहयोग बन्द करनेको और अपने धर्मभाइयों तथा हिन्दू भाइयोंसे भी वैसा ही करनेको कहनेके लिए बाध्य होंगे। हमारा परमश्रेष्ठसे निवेदन है कि हमारे इस कथनको आप धमकी या किसी भी प्रकार अनादरसूचक न समझें। हम दावा करते हैं कि हम सम्राट्के उतने ही वफादार प्रजाजन हैं जितना कि भारत में कोई अन्य। परन्तु पार्थिव राजाके प्रति अपनी निष्ठाको हम इस्लामके प्रति अपनी निष्ठाका सहायक मानते हैं। इस्लामके प्रति हमारी निष्ठा प्रत्येक मुसलमानको आदेश देती है। कि जो लोग केवल खिलाफतकी हैसियतपर चोट करना चाहते हैं उन्हें वह इस्लामका दुश्मन माने और उनका विरोध करे। हम मानते हैं कि सम्भव होनेपर भी जबतक हमारे पास अन्य उपाय हैं, हमें शस्त्रोंका सहारा नहीं लेना चाहिए। हम महसूस करते हैं कि एक मुसलमान इन परिस्थितियोंमें कमसे कम यही कर सकता है कि वह उन लोगोंका साथ न दे जिनपर यह आरोप है कि वे खिलाफतको प्रायः विफल बनानेका प्रयत्न कर रहे हैं। अतएव यह हमारा दुःखद कर्त्तव्य होगा कि हम उस सरकारको सहयोग देने से इनकार कर दें जो सन्धि शर्तोंको स्वीकार करती है और हमें भी सलाह देती है कि हम उन्हें स्वीकार कर लें। हम आशा करेंगे कि असहयोग-जैसा गम्भीर कदम उठानेकी जरूरत नहीं होगी, परन्तु दुर्भाग्यवश यदि इस आशाके विपरीत हो जाये तो हम परमश्रेष्ठको आश्वासन देते हैं कि हम हिंसासे बचनेकी पूरी कोशिश करेंगे। हम अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह पहचानते हैं। हम जानते हैं कि हिंसाकी एक भी घटना उस शान्तिपूर्ण प्रदर्शनको जिसकी हम अपेक्षा करते हैं, हानि पहुँचायेगी और उसकी प्रगति में बाधा डालेगी; शांतिपूर्ण असहयोग हमारे लिए एक पवित्र उद्देश्य है और वह हमें प्राणोंकी तरह प्यारा है, इसलिए हम असहयोगका अमल उत्तरोत्तर बढ़ाते क्रमसे करेंगे, ताकि सरकारको आवश्यकतासे अधिक उलझन या परेशानी न हो और हम जनमतपर नियन्त्रण और अनुशासन रख सकें।

[अंग्रेजीसे]
ऑल अबाउट द खिलाफत