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परिशिष्ट

प्रान्तको निष्ठासे डिगा सकनेकी शक्ति नहीं थी। वह कार्यकाल अब पूरा हो गया है, भारतसे सुदीर्घं और सम्माननीय सम्बन्ध समाप्त हो गया है, और सम्राट्की सरकार असाधारण कठिनाईके समय सर माइकेल ओ'डायरने अपने काममें जिस अद्भुत स्फूर्ति, निर्णयबुद्धि और साहसका परिचय दिया उसके लिए उनका अभिवादन करना चाहती है और उनकी सेवाओंकी सराहना करनेकी इच्छुक है।

९. रिपोर्टसे उठनेवाले अन्य मामलोंके बारेमें आपकी सरकारने जो निष्कर्ष निकाले हैं, उनके सम्बन्ध में मुझे यह देखकर बड़ी प्रसन्नता होती है कि जहाँतक उपर्युक्त अनुच्छेदों में कही गई बातें उनके विरुद्ध जाती हैं उनको छोड़कर अन्य सभी दृष्टियोंसे में आपके विचारोंसे सहमत हूँ, और इस समय मुझे इस सम्बन्धमें और कुछ नहीं कहना है। फिर भी, आपकी सरकार यह बात समझ जायेगी कि यह जरूरी नहीं कि इन दस्तावेजोंके, जिनमें कि इस देशकी और भारतकी भी जनता इतनी गहरी दिलचस्पी रखती है, प्रकाशन मात्रसे इस मामलेसे सम्बन्धित सभी बड़े-बड़े प्रश्नोंका समाधान हो ही जायेगा। विशेष रूपसे, मैं इस बातकी आशा करूँगा कि जो फौजी कानून संहिता आपके विचाराधीन है, उसके मसविदेको आप मेरी स्वीकृतिके लिए जल्दी मेरे पास भेज देंगे। मैं इस बातको सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानता हूँ। यह कहने की जरूरत नहीं कि मेरा हार्दिक विश्वास यही है कि ऐसे नियमोंको लागू करनेका अवसर फिर कभी नहीं आयेगा लेकिन इस जाँचसे एक बहुत बड़े उद्देश्यकी सिद्धि हो, अगर इसके परिणामस्वरूप ऐसे विनियमोंकी एक संहिताको कानूनका रूप दिया जा सके जिनके आधारपर जहाँतक मनुष्यकी दूरदर्शिताकी पहुँच है उस हदतक, एक ऐसी शासनप्रणालीकी रचना की जा सके जो एक ओर तो उपद्रवोंका दमन करे और उपद्रवकारियोंको तत्काल उचित और उपयुक्त दण्ड दे, लेकिन साथ ही दूसरी ओर सर्वसाधारणके आम अधिकारों और जीवनक्रममें उससे अधिक व्यवधान न डाले जितना कि परिस्थितियोंको देखते हुए जरूरी हो, और असैनिक न्याय व्यवस्था तथा असैनिक शासन-प्रणालीकी मान्यताओंका निर्वाह करे। कारण, जो परिस्थितियाँ राज्यके अस्तित्व के लिए खतरा बन रही हैं, उनको ध्यान में रखते हुए फौजी कानून एक आवश्यक उपाय है, परन्तु अगर इस उपायका प्रयोग बुद्धिमानी और विवेकके साथ न किया जाये तो उसका कोई महत्व नहीं रह जाता। अतएव यह हमारा कर्त्तव्य है कि हम इसका दुरुपयोग करके इसका मूल्य घटने न दें। मेरे खयालसे यहीं बातें निर्वासन-दण्डपर भी लागू होती हैं। यह एक ऐसा उपाय है जिसे उसके वर्त्तमान रूप में प्रयोग में लाने में बहुत अधिक कठिनाइयाँ हैं और जिसके परिणामोंके लिए कुछ ठीक कह पाना असम्भव है।

१०. फौजी कानूनको अमल में लानेका काम जिन अधिकारियोंको सौंपा गया था उनके आचरणकी कड़े शब्दोंमें आलोचना करना सम्राट्की सरकारने आवश्यक समझा है और आपकी सरकारने ऐसा आभास दिया है कि पुलिसके तथा अन्य विभागोंमें काम करनेवाले मातहत अफसरोंके विरुद्ध अधिकारोंके दुरुपयोगके जो मामले साबित हो चुके हैं, उन सबपर पर्याप्त रूपसे गौर किया जायेगा। लेकिन अगर इन अपवादोंको