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परिशिष्ट


मार्शल लॉके अन्तर्गत काम करनेवाले न्यायाधिकरणोंके तुरत-फुरतवाले तरीकों और परिणामोंका पर्यवेक्षण करना अनावश्यक होगा। फिर भी यह कहना अनुचित न होगा कि उससे होनेवाले नुकसानोंके प्रति तथा प्रस्तुत अभियोगोंको देखते हुए अभियुक्तोंको इन न्यायाधिकरणों द्वारा दी गई सजाओं और पुनर्विचार करनेवाले अधिकारियों द्वारा न्यायदृष्टिसे दी गई सजाओंके बीच जो बड़ा भारी अन्तर है, उसके प्रति बहुत ज्यादा ध्यान दिया गया है। आशा है कि इस तरह प्राप्त अनुभवके परिणाम स्वरूप ऐसे तरीके निकाले जायेंगे जिनके द्वारा फौजी कानूनी अदालतोंमें, यदि उन्हें कभी पुनः स्थापित करना पड़े तो सुधार किया जा सके।

७. गुजराँवालामें बमवर्षक विमानोंका प्रयोग:—१४ अप्रैलको गुजराँवालामें बमवर्षक विमानोंको प्रयुक्त किये जानेके सम्बन्धमें लॉर्ड इंटरकी समितिके अधिकांश सदस्योंने अपने विचार इस तरह व्यक्त किये हैं "हमारा खयाल है कि बहुत जरूरतके अवसरोंको छोड़कर" और जब अन्य साधन उपलब्ध न हों विमानोंसे बम बरसानेका समर्थन शायद ही कोई करे, परन्तु उन अवसरोंपर भी यह काम बहुत कड़ी सीमाओंके अन्दर ही करना चाहिए। हमारे खयालसे इनमें से पहली दो बातें तो पूरी तरह से मौजूद ही थीं। हम दंगाइयोंके लिए अधिकार-पत्रके रूपमें यह आदेश अंकित करने को तैयार नहीं हैं कि जब वे ऐसी स्थिति पैदा करनेमें सफल हो जायें जिसमें उन्हें दबाने के लिए सरकारके सामान्य साधनोंका उपयोग न हो सके तो फिर उनके खिलाफ बचे हुए साधनोंका प्रयोग नहीं होना चाहिए।" आगे चलकर वे कहते हैं कि सम्बन्धित उड़ान अधिकारियोंको आदेशोंका पालन करनेके लिए दोषी नहीं माना जा सकता परन्तु उन आदेशोंके अधीन जो काम उन्होंने किया उससे आदेशोंकी सदोषता प्रकट होती है। इस सम्बन्ध में अन्तमें उन्होंने यह सुझाव पेश किया है कि भविष्य में इस प्रकारकी परिस्थितियोंमें उड़ान अधिकारियोंको दिये जानेवाले आदेश क्या हों, इस बातकी सावधानी के साथ जाँच-पड़ताल कर ली जानी चाहिए।

इन निष्कर्षोंको निश्चित रूप देते हुए महामहिमकी सरकार यह साफ तौरपर कह देना चाहती है कि उन देशों में जहाँ साधारणतया शान्तिपूर्ण स्थिति रहा करती है यदि अशान्ति देखने में आये तो हवाई जहाजोंका सामान्यतया इतना भर उपयोग उचित है कि वे पर्यवेक्षण करें, खबरें लायें—ले जायें, प्रचारके लिए पर्चे आदि गिरायें और नैतिक असर उत्पन्न करें। परन्तु ऐसे विशेष अवसरोंकी कल्पना की जा सकती है जब दूरीके कारण या संचार-साधन क्षतिग्रस्त हो जानेके कारण या दोनों बातोंके फलस्वरूप और भीड़के बढ़ते हुए हिंसक उपद्रवों और आगजनी आदिको रोकनेका और कोई उपाय न रह जानेपर इस साधारण नियममें अपवाद करना उचित ही नहीं, आवश्यक हैं। सामान्यतया विशेष आदेशों द्वारा इस बातकी गारंटी देना असम्भव है कि बम या मशीनगनें केवल उसी जनसमुदायका संहार करेंगी जिनपर फौजके जमीनपर उपलब्ध होनेकी दशामें गोली चलाना औचित्यपूर्ण होता। परन्तु भविष्य में इस प्रकारके संकटमय अवसरोंपर सशस्त्र विमानोंको प्रयोगमें लाने के लिए स्पष्ट आदेश होने चाहिए; ये आदेश असैनिक अधिकारी द्वारा लिखित रूपमें दिये