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परिशिष्ट

मौखिक दोनों प्रकारके बयानोंमें, जो खुद ब्रिगेडियर जनरल डायरने समितिके सामने दिये और जिनका सम्पूर्ण और अधिकृत पाठ जनताको उपलब्ध नहीं है, उनका विगतवार पूरा विवरण मिल जाता है। तथ्योंके बारेमें कोई सन्देह नहीं है और न कोई विवाद ही है। जरूरत यहाँ केवल इतनी है कि संक्षेपमें उन्हें फिरसे उनके अनलंकृत रूपमें पेश कर दिया जाये। अप्रैल १३की सुबहको ब्रिगेडियर जनरल डायरने जो ११की रातको अमृतसर पहुँच गये थे, एक घोषणा जारी की। घोषणामें दूसरी बातोंके साथ-साथ शहरके अन्दर या बाहर जुलूस बना कर चलनेकी मनाही की गई थी और कहा गया था कि "ऐसा कोई भी जुलूस या चार व्यक्तियोंका एक जगह इकट्ठा होना गैरकानूनी माना जायेगा और यदि जरूरत हुई तो उसे हथियारोंके बलपर तितर-बितर किया जायेगा।" इस घोषणाको सुनानेके लिए ब्रिगेडियर जनरल डायर सुबह ९ बजेके करीब अपने स्थानसे चले थे, और करीब डेढ़ बजे वापस लौटे थे। उनके नेतृत्व में जब सेनाकी टुकड़ी सड़कोंसे होकर आगे बढ़ रही थी, उस समय यह घोषणा शहरके कई स्थानोंपर पढ़कर सुनाई गई थी। रामबाग में अपने डेरेपर वापस पहुँचनेसे करीब एक घंटा पूर्व ब्रिगेडियर जनरल यह सुन चुके थे कि उनकी घोषणाके बावजूद शामको साढ़े चार बजे लोग जलियाँवाला बागमें एक विशाल सभा करनेवाले हैं और ४ बजे उन्हें खबर मिली कि लगभग १,००० लोग वहाँपर इकट्ठा हो चुके हैं। शामको चार बजते ही ब्रिगेडियर जनरल डायरने प्रवेशरोधीदलोंके साथ अपने डेरे रामबाग से कूच कर दिया; (वे पहले ही शहरके मुख्य द्वारोंपर प्रवेशरोध करनेका निश्चय कर चुके थे;) उनके साथ दो बख्तरबन्द गाड़ियाँ और राइफलोंसे सज्जित ५० तथा केवल खुखरियोंसे सुसज्जित ४० भारतीय पैदल जवानोंका एक विशेष दल भी था। वे सीधे जलियाँवाला बागको चल पड़े। वे अपने प्रवेशरोधी दलोंको रास्तेमें छोड़ते गये और जलियाँवाला बाग पहुँचकर अपने जवानोंको एक संकरी गलीसे बागमें ले गये और उन्हें तुरन्त प्रवेश-स्थलके दाँये-बाँये तैनात कर दिया। गली बहुत संकरी होनेके कारण बख्तर बन्द गाड़ियोंको वे बाहर छोड़ आये थे। जवानोंको तैनात कर देनेके बाद ब्रिगेडियर जनरल डायरने तुरन्त गोली चलानेका हुक्म दे दिया और सामनेकी उस घनी भीड़पर (जिसमें उनके अपने अन्दाज़ से कोई ५,००० लोग रहे होंगे) करीब दस मिनटतक लगातार गोलीबार जारी रखा, और यह क्रम गोलियोंका भंडार लगभग समाप्त होने तक जारी रहा। गोलीबारमें ३०३ मार्क ६वाली गोलियोंके १६५० राउन्ड चलाये गये। परिणामस्वरूप अन्दाज है कि ३७९ व्यक्ति हत हुए, आहतोंकी संख्या ठीक-ठीक निर्धारित नहीं की जा सकी है, परन्तु हंटर समितिका अनुमान है कि वह मृतकोंकी संख्याका तीन गुना रही होगी। गोलीबार बन्द करनेका हुक्म देनेके तुरन्त बाद ब्रिगेडियर जनरल डायरने अपनी फौज वापस रामबाग कूच करवा दी। जनरल स्टाफ (१६वीं भारतीय डिवीजन) को दिये गये लिखित बयान में, जो बादमें लॉर्ड इंटरकी समितिके सामने रखा गया, जनरल डायरने देरतक इतना ज्यादा गोलीबार करानेका कारण इस प्रकार बताया है : "जबर्दस्त खतरेकी सम्भावना उत्पन्न होनेपर ही वीरताकी पूरी भावना जागृत हो सकती है। मैंने मामलेपर हर दृष्टिसे विचार किया था और कर्त्तव्य तथा