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परिशिष्ट ५
भारत सरकारके खरीतेके उत्तरमें मॉण्टेग्युका पत्र

इंडिया ऑफिस
लन्दन
२६ मई, १९२०

सं॰ १८८ पब्लिक
सपरिषद् गवर्नर-जनरल महोदयकी सेवा में
महानुभाव,

पिछले वर्ष के प्रारम्भमें पंजाब तथा भारतके अन्य भागोंमें हुए उपद्रवोंपर लॉर्ड इंटरकी समितिकी रिपोर्टपर महामहिमकी सरकार विचार कर चुकी है। आपके ३ मईके पत्र और तार द्वारा मुझे भेजे गये उसके मूल पाठके अनुसार आपकी सरकार रिपोर्टकी छान-बीन के बाद जिन निष्कर्षोंपर पहुँची है, महामहिमकी सरकारको मैंने उनकी सूचना भी दे दी है। रिपोर्ट और आपके पत्रमें जिन सब बातोंकी चर्चा है, वह ठीक ही है किन्तु महामहिमकी सरकारने उनका उतने विस्तारसे सर्वेक्षण करना जरूरी नहीं समझा; परन्तु मामलेपर विचार करनेके अनन्तर वह रिपोर्टसे निष्पन्न कुछ अधिक महत्वपूर्ण प्रश्नोंके सम्बन्धमें निश्चित निष्कर्षोंपर पहुँची है और चाहती है कि मैं आपके पत्रके जवाब में आपको इन निष्कर्षोंका उनके द्वारा सोच-समझकर स्वीकार किया गया विवरण भेज दूँ। इस पत्रके २ से ८ तकके अनुच्छेदोंमें आप यह विवरण पायेंगे।

२. सामान्य :—लॉर्ड इंटरकी समितिकी रिपोर्ट, लम्बे अरसेतक धैर्यपूर्वक की गई जाँच-पड़तालके नतीजे प्रस्तुत करती है। यदि उसके अत्यन्त पूर्ण और सावधानीसे निकाले गये इन निष्कर्षोंका कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं किया जाता तो समितिका श्रम व्यर्थ जायेगा। जो निष्कर्ष यहाँ कलमबन्द किये गये हैं वे मुख्यतः इस विश्वाससे प्रेरित हैं कि रिपोर्टका उपयोग करते समय महामहिमकी सरकार तथा भारत सरकारका मुख्य कर्त्तव्य यह ठहराना नहीं है कि जो गलतियाँ हुई हैं उनका दोष किसपर है और न उन्हें दण्डित करना है, बल्कि यह है कि यदि दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियोंके फलस्वरूप भारतमें फिर कभी वैसी ही हालत पैदा हो जाये जैसी कि सन् १९१९को बसन्तमें हो गई थी तो ऐसे दोषारोपण या पश्चात्तापके अवसर कदापि न आने दें।

३. १३ अप्रैलको अमृतसर में ब्रिगेडियर जनरल डायरका आचरण:— १३ अप्रैल १९१९ की शामको अमृतसर के जलियाँवाला बागमें हुई घटनाकी मुख्य बातें सुविदित हैं। लॉर्ड इंटरकी रिपोर्टमें उनका विस्तृत वर्णन किया गया है और लिखित तथा