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परिशिष्ट

और काफी हदतक वे ही ऐसे खतरनाक उपद्रवको शान्त करनेके लिए जिम्मेदार थे जिसका शेष भारतपर भी विस्तृत एवं भयानक असर पड़ सकता था।

सारी स्थितिपर विचार करते हुए हम उन सैनिकोंके सराहनीय आचरणकी भूरि-भूरि प्रशंसा करना चाहते हैं, जिन्हें उपद्रवोंको दबाने के लिए नियुक्त किया गया था। कुछ वैयक्तिक उदाहरणोंको छोड़कर जिनका कि पहले ही जिक्र किया जा चुका है, अधिकारियों और सैनिकों, दोनोंने अत्यन्त गम्भीर परिस्थितियों में प्रशंसनीय संयमसे काम लिया है। इसलिए भारत सरकार उनकी उन सेवाओंके लिए जो उन्होंने देशमें उपद्रवोंको दबाने और पुनः शान्ति स्थापित करने में की, उनका अत्यन्त आभार मानती है और उनकी प्रशंसा करती है।

उपद्रवग्रस्त क्षेत्रोंमें सिविल प्रशासनके सभी श्रेणियों और पदोंके अधिकारियोंने आमतौरपर आचरण और कर्त्तव्यनिष्ठाका वैसा ही स्तर ऊँचा रखा है जिसकी कि भारत सरकार उनसे आशा रखती थी। न केवल वे लोग धन्यवादके पात्र हैं जिनका कि व्यवस्था पुनः कायम करनेसे सीधा सम्बन्ध था वरन् वे लोग भी जिन्होंने ऐसे उपद्रवके समय भी शान्ति और दृढ़ताके साथ अपना सामान्य कर्त्तव्य निभाकर जनताका विश्वास पुनः स्थापित करनेमें बड़ा काम किया। कुछ अधिकारियोंके नाम जिनकी विशेष प्रशंसा की गई है, पहले ही बताये जा चुके हैं, परन्तु यदि स्थानीय सरकारका विचार है कि और भी ऐसे अधिकारी हैं जिनके आचरण विशेष प्रशंसाके योग्य हैं, तो उनके नाम जल्दी से जल्दी हमारे ध्यानमें लाये जाने चाहिए।

गैर-सरकारी लोगों में से जिन्होंने उस आन्दोलनको रोकनेका पूरा प्रयत्न किया जो कि उन उपद्रवोंके साथ भयानक रूपसे सम्बद्ध था, या जिन्होंने अपने प्रभावसे और सहायता देकर व्यवस्था पुनः कायम करने में अधिकारियोंकी मदद की, भारत सरकार उनका पूरी तरह आभार मानती है और स्थानीय सरकारोंसे कहा जायेगा कि इस तरहकी वैयक्तिक सहायता अस्वीकृत या अपुरस्कृत न रहने पाये।

भारत सरकारको यह देखकर अत्यधिक सन्तोष होता है कि सभी वर्गों और धर्मोंके ऐसे अनेक लोग थे, जिन्होंने क्रुद्ध भीड़के सामने अपनी जान खतरेमें डालकर उपद्रवसे पीड़ित बेगुनाहोंकी मदद की, या उनके प्रति सहानुभूति दिखाई। यहाँपर हम पुनः चाहते हैं कि ऐसे सभी कार्योंको अत्यन्त निश्चित रूपसे स्वीकार किया जाये, या जिन मामलों में उचित हो उनमें आर्थिक पुरस्कार दिया जाये।

४४. जिन अधिकारियोंके कार्योंकी सही तौरपर आलोचना या निन्दा की गई है, उनके नाम इस खरोते में दिये गये हैं और स्थानीय सरकारोंसे प्रार्थना की जायेगी कि वे इस प्रकारका आवश्यक कदम उठायें जिससे इन मामलोंमें भारत सरकारकी नापसन्दगी जाहिर हो।

जनरल डायरके मामलेका अलग से उल्लेख करना आवश्यक है। इस अधिकारी द्वारा जलियाँवाला बागमें की गई कार्रवाईपर हमने बहुत सतर्कतासे विचार किया है। हम इस निश्चयपर पहुँचे हैं कि उसका हेतु दूषित नहीं था और वह कठोर किन्तु भ्रान्त कर्त्तव्य-भावनासे प्रेरित थी। तथ्य अत्यन्त स्पष्ट हैं। जनरल डायरने दुःखद

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