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परिशिष्ट

बिना मुकदमा चलाये गिरफ्तारी और रिहाईकी कटुतर आलोचना करती है। भारत सरकारके विचारसे फौजी कानूनकी अवधि में शान्ति कायम करनेके लिए गिरफ्तारी और थोड़े समय के लिए नजरबन्दी, निवारक उपायके रूपमें न्यायसंगत हैं। इसके अलावा गिरफ्तार लोगों में से बहुतोंपर बाद में अभियोग इसलिए नहीं चलाया गया कि यद्यपि सबूत उपलब्ध थे फिर भी उसी प्रकारके अपराधोंके लिए बड़ी संख्या में लोगोंको सजा देने के कारण जितना चाहिए था उतना असर हासिल हो ही चुका था। तथापि भारत सरकारकी राय है कि इतने लोगोंको खासकर डाक्टर केदारनाथ, श्री गुरदयाल सिंह, डाक्टर मनोहरलाल और गुरदासपुरके छः वकीलोंको, लम्बे अर्सेतक बन्दी रखना भारी भूल थी। वह परिस्थितिको कठिनाइयोंको नजरन्दाज नहीं करती; फिर भी इन मामलों में की गई कार्रवाईपर अपनी असहमति व्यक्त करनेके लिए वह विवश है।

इस सिलसिले में पुलिस तथा अन्य सेवाओंके मातहत अधिकारियोंपर लगाये गये भ्रष्टाचार तथा बन्दियोंके साथ किये गये दुर्व्यवहारके आरोपोंके सम्बन्धमें जिनका कि दूर-दूर तक प्रचार किया गया है, हम मौन नहीं रह सकते। घटनाके काफी समय बाद लगाये गये आरोपोंकी जाँच-पड़ताल में आनेवाली कठिनाइयोंको हम समझते हैं, फिर भी हम जाँच-पड़ताल करने और जिन मामलोंमें निश्चित शिकायतें की गई हैं, और जिनपर अबतक कार्रवाई नहीं की गई है, उनपर मुनासिब कार्रवाई करनेके लिए स्थानीय सरकारोंको निर्देश देंगे।

४१. हम इस बातको स्वीकार करते हैं कि पंजाब में फौजी कानूनका प्रशासन कुछ विशेष मामलों में सत्ताके दुरुपयोग, अनियमितताओं, और अन्यायपूर्ण तथा अनुत्तरदायित्वपूर्ण कार्योंके कारण दूषित हो गया था। इसके अलावा इस बात में भी हमारी समितिसे एकराय है कि यद्यपि अन्ततोगत्वा [ऐसी परिस्थितिमें] फौजी अधिकारियोंको सर्वोपरि मानने के सिद्धान्तको दृष्टिमें रखना चाहिए, फिर भी व्यावहारिक रूपसे अधिकारियोंको भी ऐसी हिदायतें देते रहना चाहिए जो कर्त्तव्य निभाने में उनका मार्गदर्शन करें। हमारी रायमें ऐसी हिदायतोंका न होना ही उन बुराइयोंका कारण था जो पंजाबके फौजी कानूनी प्रशासन में पाई गई हैं। अनुभवहीनता, स्थानीय परिस्थितियोंके ज्ञानका अभाव और असाधारण स्थिति आनेपर मार्गदर्शनका अभाव, इन सबके कारण अधिकांश भूलें हुईं, सत्ताके दुरुपयोगके कारण नहीं। भारत सरकारका विचार है कि यदि भविष्य में किसी क्षेत्रमें फौजी कानून लागू करना जरूरी हो जाये तो विभिन्न सैनिक अधिकारियोंके परामर्शदाताके रूपमें काम करनेके लिए उच्च असैनिक अधिकारियोंको नियुक्त किया जाना चाहिए। सैनिक अधिकारी अपने असैनिक परामर्शदाताकी राय माननेको मजबूर नहीं होगा; परन्तु यदि वह उस रायके विपरीत फैसला करे तो अपनी जिम्मेदारीपर करे। रिपोर्टके इस अंशसे हमें जो अत्यधिक महत्त्वपूर्ण शिक्षा ग्रहण करनी है वह यह कि भविष्यमें इन भूलों और अनियमितताओंको न दोहराया जाये। हमने तदनुसार हिदायतें जारी करनेका निर्णय किया है। ये हिदायतें इस उद्देश्य की पूर्ति करेंगी और ऐसे मामले में विशेषकर सैनिक अधिकारियोंको साधारण प्रशासन में, जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप करनेसे विरत करेंगी।