पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/६३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३५
पंजाबकी चिट्ठी-१२

रेशमसे काम किया गया था। ऐसे वस्त्रोंको यहाँ लोग फुलकारी[१] कहते हैं। इनमें सुन्दर बेल-बूटे कढ़े हुए होते हैं, इससे वे आँखोंको प्रिय लगते हैं। विवाहके अवसरपर वर-वधूको ऐसी फुलकारी भेंट की जाती है और वह बहुतसे परिवारों में सँभालकर रखी जाती है। बहुत सारी स्त्रियाँ फुलकारीके दुपट्टे ओढ़े हुए दिखाई देती है। आजकल लोग इसके पर्दे भी बनाते हैं। मेरे बैठने के लिए जो प्रबन्ध किया जाता है उसमें भी मैं ज्यादातर इस फुलकारीको देखता हूँ। उसके पीछे निहित प्रेम मुझे आनन्द प्रदान करता है।

फुलकारीके कपड़ोंसे भरे बाजारको देखकर मुझे दुःख भी हुआ। मेरा हृदय भर आया। वह सुन्दर कला और हिन्दुस्तानकी खुशहालीका बड़े से बड़ा साधन लगभग समाप्त होनेकी स्थितिपर आ पहुँचा है, इस विचारने मेरे हृदयको दुःखसे भर दिया। ऐसी फुलकारीमें में जो शोभा, पवित्रता और पैसेकी बचत देखता हूँ वह सब मुझे विलायतकी बनी साड़ियोंमें दिखाई नहीं देती। कातने में हिन्दुस्तानके घरोंकी बरकत है। उस धन्धेके चले जानेसे बरकत खत्म हो गई है।

गुजरातमें, यद्यपि कमिश्नरने मार्शल लॉ लगाये जाने की माँग नहीं की थी, लेकिन फिर भी जब वह लगाया गया तो उन्होंने तार द्वारा पुछवाया कि कहीं यह बम्बई प्रदेशके गुजरातके लिए तो नहीं है। इतना निर्दोष था पंजाबका यह गुजरात। वहाँ क्या हुआ, यह तो मैं लिखना नहीं चाहता। लेकिन हंटर समितिके सम्मुख उपर्युक्त बात आ चुकी है, इसीसे में यहाँ उसका जिक्र कर रहा हूँ।

सरगोधा

गुजरात एक रात रहने के बाद हम सरगोधा गये। सरगोधा एक नया बसा हुआ गाँव है। नहरोंके समीप ऐसे कितने ही गाँव बसे हुए हैं। यह गाँव शाहपुर जिलेमें है। वहाँ जानेका उद्देश्य रंगरूटोंकी भरतीके समय लोगोंको जो तकलीफ सहनी पड़ी, उसकी जाँच करना था। सरगोधामें हम रातको पहुँचे। लेकिन रातके दस बजे भी लोगोंका उत्साह कम नहीं हुआ था। [निकटस्थ] गाँवोंसे हजारों व्यक्ति आये थे और सारे बाजारमें असंख्य बत्तियाँ दिखाई देती थीं।

शाहपुर जिलेके लोग दूसरे जिलोंके लोगोंसे भिन्न प्रकारके दिखाई दिये। वे शरीरसे कद्दावर होते हुए भी अल्पबुद्धि, भोले और अज्ञानी है। सिपाहीसे बहुत डरते हैं और अपनी रक्षा करने में बिलकुल असमर्थ हैं। ज्यादातर ये लोग मुसलमान है लेकिन लगता है भुखमरीके कारण कुम्हला गये हैं। नहरोंकी खुदाईसे उनमें भुखमरी तो बहुत कम हो गई है लेकिन लोगोंको सार्वजनिक जीवनकी तनिक भी शिक्षा न मिलने के कारण वे असहाय ही रह गये हैं।

मलकवाल

सरगोधासे हम मलकवाल गये। मलकवाल गुजरात जिलेका एक शहर है; बड़ा जंकशन स्टेशन होनेके कारण यह प्रसिद्ध हो गया है। वहाँ भी मार्शल लॉ लागू किया

  1. मूलमें यहाँ 'फुलवारी' है, सही शब्द 'फुलकारी' ही है।