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परिशिष्ट

समितिकी राय में यह व्यक्त करते हैं कि पूरी-पूरी सावधानी बरती गई और यथासम्भव कमसे कम शक्तिका उपयोग किया गया।

समिति लाहौर में उपयोग में लाये गये आग उगलनेवाले और विद्रोहात्मक इश्तिहारोंपर विशेष ध्यान आकर्षित कराती है। ये इश्तिहार महात्मा गांधीके नामपर पंजाबके वीरोंका आह्वान करते थे कि वे डंडा फौज में शामिल हो जायें और अंग्रेजोंको, जिन्हें सूअर, बन्दर और काफिर बताया गया था, मार डालें। १३ अप्रैलको जिला राज द्रोहात्मक सभा अधिनियम (सेडिशस मीटिंग्स ऐक्ट) के अधीन घोषित कर दिया गया। उसी दिन लगभग १४ मील दूर वागाह स्टेशन जलाकर लूट लिया गया, तारकी लाइनें काट दी गई, और फौज ले जानेवाली एक रेलगाड़ी पटरीसे उतार दी गई, सौभाग्य से कोई हताहत नहीं हुआ। १४ तारीखको पंजाब सरकारने स्थानीय नेता रामभजदत्त, हरकिशनलाल, और दुनीचन्दको, जो आन्दोलनमें तथा अब भी हड़ताल जारी रखने में सक्रिय सहयोग दे रहे थे, निर्वासित कर दिया; बादमें इन सभी लोगोंपर युद्ध छेड़नेका अभियोग चलाया गया।

२४. अध्याय ४ के दूसरे भाग में, १२ अप्रैलको लाहौरसे ३७ मील दक्षिण-पूर्व में स्थित एक छोटेसे उपनगर कसूरके बहुत ही गम्भीर उपद्रवोंका वर्णन है। उस दिन सुबह एक हिंसक भीड़ने रेलवे स्टेशनपर हमला किया और यथासम्भव मूल्यवान् सम्पत्तिको नष्ट करने और जला देनेके बाद अपना ध्यान उन तीन रेलगाड़ियोंकी ओर केन्द्रित किया जो स्टेशन के करीब रोक दी गई थीं। बहुत-से यूरोपीयोंपर घातक हमले किये गये जिनमें एक महिला और तीन बच्चे भी शामिल थे। ये लोग रेलगाड़ियों में सफर कर रहे थे; उनमें से कुछको भगवान् ने बचा लिया, परन्तु तीन आदमी सख्त घायल हुए और दो अभागे वारंट अफसरोंको तो इतना पीटा गया कि वे मर गये। अपनी सफलता से प्रोत्साहित होकर भीड़ने उसके बाद डाकखाने और एक दीवानी अदालतको जला दिया। और उपसम्भाग (सब डिविजन) के दफ्तरोंपर हमला किया। सरकारी सम्पत्तिकी रक्षाके लिए पुलिसको मजबूर होकर गोली चलानी पड़ी जिसके परिणामस्वरूप चार आदमी मारे गये और अनेक घायल हुए। भीड़पर गोली चलानेके निर्णयको समिति ठीक मानती है। उसके विचारमें तो गोली और पहले चलाई जानी चाहिए थी। १२ की शामको फीरोजपुरसे फौज आ गई और उपद्रव बढ़ नहीं पाया। लाहौर जिलेमें दो जगह और उपद्रव हुए, १२ को खेमकरनमें जहाँ रेलवे स्टेशनपर हमला करके उसे कुछ क्षति पहुँचाई गई। ११की रातको पट्टी में टलीग्राफके तार काट दिये गये और १२को वहाँके डाकखाने और रेलवे स्टेशनपर हमला किया गया।

हम लाहौर जिलेके उपद्रवों और उन्हें दबानेके लिए अपनाये गये तरीकोंसे सम्बद्ध बहुमत के उन सभी निष्कर्षोंको, जिनसे कि अल्पमतकी भी सहमति है, स्वीकार करते है हमारा विचार है कि सर्वश्री फायसन और ब्राडवेने लाहौर शहरकी कठिन स्थितिको जिस प्रकार सँभाला उसके लिए वे प्रशंसाके पात्र हैं।

२५. अध्याय ५ में गुजराँवाला में हुए अत्यन्त गम्भीर उपद्रवोंपर विचार किया गया है। यह शहर लाहौरसे ३६ मील दूर उत्तरमें स्थित है और इसकी जन-संख्या

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