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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उन्हें सैनिक दृष्टिसे आवश्यक कदम उठाना चाहिए। ११ तारीखकी शामको आयुक्त लाहौरके लिए रवाना हो गये और जनरल डायर अमृतसर पहुँच गये जहाँ उन्होंने फोजकी बागडोर अपने हाथमें ली। उप-आयुक्तने उसी दिन आधी रातको औपचारिक रूप से कर्त्तव्य भार उन्हें सौंप दिया। साधारण तौरपर कहें तो समिति १३ अप्रैलसे पहले उठाये गये किसी भी कदम में आलोचनाके योग्य कोई गम्भीर आधार नहीं देखती। समितिका सामान्य निष्कर्ष यह है कि १० और १२ के बीच असैनिक अधिकारी शक्तिहीन हो गये थे और ११ को हालात इस तरहके होते जा रहे थे, जिनसे वस्तुतः फौजी कानूनकी स्थिति अनिवार्य हो गई और अधिकारियोंने उपद्रव दबानेके लिए जो कदम उठाये वे न्यायोचित थे। इन कदमोंमें बिजली और पानीकी आपूर्ति काट देना भी शामिल था। और उन्होंने शहरके अन्दर नियन्त्रण पानेके लिए ११ और १२ को अधिक सख्त और दृढ़ कदम उठानेका प्रयत्न न करके बुद्धिमानी की।

१७. अल्पमतका कहना है कि सिवाय उन कुछ बातोंके जहाँ साफ तौरपर उसका मतभेद है, वह मोटे तौरपर उन तथ्योंसे सहमत हैं जो बहुमतवाली रिपोर्टके तीसरे अध्याय में प्रस्तुत किये गये हैं। वह स्वीकार करता है कि १० अप्रैलका सारा गोली बार उचित था। उसकी राय एक ही मुद्देपर भिन्न है। बहुमतका कहना है कि १० तारीखको भीड़ने जो उपद्रव किये उनका कारण पुलपरका गोलीबार कदापि नहीं था, किन्तु अल्पमतकी राय है कि यद्यपि उपद्रव सर्वथा अक्षम्य और अनुचित थे, फिर भी भीड़का पहले से ही उपद्रव करनेका निश्चित इरादा नहीं था; गोलीबारके बाद लोग बुद्धि खो बैठे और पागलपनमें आकर नृशंस कार्य करनेपर उतारू हो गये।

१८. इस स्थानपर हम अमृतसरकी १२ अप्रैल और उससे पहलेकी स्थिति तथा वहाँ अपनाये गये उपायोंका विवेचन करना चाहते हैं। हम समितिके इस निष्कर्षको सही समझते हैं कि स्थिति अत्यन्त विषम थी; और यह भी मानते हैं कि अधिकारियों द्वारा उठाये गये कदम सामान्य तौरपर उचित थे। फिर भी हमारे विचारमें यह खेदकी बात है कि फौजी कानूनकी घोषणा से पूर्व ही असैनिक अधिकारियोंने ऐसी शर्तोंके साथ फौजके हाथमें नियन्त्रण सौंप देना अत्यावश्यक समझ लिया, जिनका तात्पर्य यह निकलता था कि वे फौजी कमांडरके कामपर निगरानी रखने या रहनुमाई करनेका कोई इरादा नहीं रखते। इसका नतीजा यह हुआ कि फौजी कमांडर बड़ी कठिनाईमें पड़ गया और उसपर एक ऐसा गम्भीर उत्तरदायित्व आ गया, जिसके बारेमें भारत-सरकारकी राय थी कि असैनिक अधिकारियोंको कुछ और समयतक उसका हाथ बँटाते रहना चाहिए था। यह स्पष्ट नहीं कि वास्तवमें असैनिक सत्ताको पूरी तरह समाप्त करनेके लिए जिम्मेदार कौन था, परन्तु भारत सरकार अभी इस मामलेकी और छानबीन करके जरूरी हुक्म जारी करना चाहती है।

१९. इसके बाद समितिने १३ तारीखको जलियाँवाला बागमें घटी घटनाओंपर विचार किया है। वह स्थानका वर्णन करती है और गोलीबारसे सम्बन्धित सारी तफसील और परिस्थितियोंका पूरा विवरण देती है। उसने चलाई गई गोलियोंकी संख्या—१६५०, मृतकोंकी संख्याका अनुमान ३७९ और आहतोंकी संख्या इससे तिगुनी