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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

नियन्त्रण ही। उपद्रवोंके दौरान हुए अपराधोंपर साधारण न्यायालयों में विचार किया गया। शहरका सामान्य जीवन लम्बे समयतक गम्भीर रूप से अस्तव्यस्त नहीं हुआ।

१२. बम्बई महाप्रान्त में हुए उपद्रवोंके सम्बन्ध में अल्पमत बहुमतवाली रिपोर्टको स्वीकार करता है, हालांकि उसका निश्चित मत है कि अहमदाबाद या अन्यत्र ये दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ यदि श्री गांधी के विरुद्ध आदेश जारी न होता तो कदाचित् न होतीं। अल्पमतकी रिपोर्ट साथमें यह भी कहती है कि सरकारी सबूत के अनुसार श्री गांधीके पहुँचनेपर उनका प्रभाव पूरी तरह कानून और व्यवस्थाके पक्षमें ही पड़ा। अहमदाबादके कलक्टर श्री चैटफील्डने भीड़के प्रकोपके अचानक और भयानक विस्फोटको सँभालने में जो विवेक और न्याय प्रदर्शित किया उसे वह (अल्पमत) स्वीकार करता है और स्थानीय सरकारकी इन शब्दों में सराहना करता है : "बम्बई सरकारने बम्बई और अहमदाबाद शहर तथा अन्य स्थानोंमें शान्ति और व्यवस्था कायम रखनेके लिए जहाँ दृढ़तासे पर्याप्त कदम उठाये और वहाँ उसने ऐसे कदम बचाये भी जिनसे जनताके भड़कनेकी और कटुता पैदा होनेकी सम्भावना थी, वहाँ उसने सराहनीय राजनीतिक कुशलताका प्रभाव भी हमारे मनपर डाला।"

१३. बम्बई महाप्रान्तके उपद्रवोंके सम्बन्ध में समितिके सर्वसम्मत निष्कर्षोंको हम स्वीकार करते हैं। स्थानीय अधिकारियोंकी मूल्यवान सेवाओंके बारेमें और उपद्रवोंके शमनमें लगी फौजोंके सराहनीय व्यवहारके बारेमें जो राय व्यक्त की गई है उसकी भी हम पुष्टि करते हैं। रिपोर्ट में उल्लिखित अनेक उपद्रवोंपर विस्तारसे नजर डालना इस खरीतेमें सम्भव नहीं है। भीड़की उस निर्दयताको समझने के लिए जो सीधे ही यूरोपीयों और सरकारी मुलाजिमोंके विरुद्ध अपनाई गई उन दस्तावेजोंको गौरसे पढ़ना जरूरी है। हम उन सभी लोगोंके प्रति जिन्हें भीड़के हाथों कष्ट उठाना पड़ा और विशेष रूप से मजिस्ट्रेट के सम्बन्धियों और दो पुलिस अधिकारियोंके प्रति जो अत्यन्त नृशंस ढंगसे मार डाले गये, अपनी हार्दिक सहानुभूति लिखित रूपमें व्यक्त करना चाहते हैं। इन व्यक्तियोंके आश्रितोंके लिए व्यवस्थाके बारेमें पहले ही कदम उठाये जा चुके हैं और उन अफसरों तथा अन्य लोगोंकी सेवाओंको मान्यता प्रदान करानेके लिए भी पहले ही कदम उठाये जा चुके हैं जिन्होंने इस गम्भीर विस्फोटमें अपनी मूल्यवान मदद दी।

१४. अध्याय ३ में समिति पंजाबकी ओर मुखातिब होकर पहले अमृतसर जिलेके उपद्रवोंपर विचार करती है। अमृतसर नगर में १० अप्रैलको पहला उपद्रव प्रारम्भ हुआ। उससे पहले वहाँ जो क्षोभ और उत्तेजना मौजूद थी समिति अपना वर्णन उसीसे आरम्भ करती है। ९ तारीखको स्थानीय सरकारने उपआयुक्तके पास डाक्टर किचलू तथा सत्यपालको धर्मशाला में निर्वासित करनेका हुक्म भेजा। उप-आयुक्त द्वारा इन हुक्मोंका चुपचाप और शीघ्रता से पालन करनेके कार्यका अनुमोदन किया गया है। और कोतवाली में एहतियातन पचहत्तर सशस्त्र पुलिसके सिपाहियोंको तैनात करना बुद्धिमत्तापूर्ण कहकर सराहा गया है। बादको प्रबन्धमें जो गड़बड़ी हुई उसका कारण समितिने स्थानीय अधिकारियोंमें दूरदर्शिताका अभाव नहीं माना। फिर भी उसने निर्देश किया है कि स्त्रियों और बच्चोंको अन्यत्र हटानेकी सावधानीको देखते हुए शहरमें यूरो-