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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आधारपर मतभेदों के बावजूद जो परिणाम निकले हैं उनम भी पर्याप्त सहमति है। दिल्ली और बम्बई महाप्रान्तकी सारी घटनाओं तथा काफी हदतक पंजाबकी घटनाओंके विवरण तथा वहाँके उपद्रवोंके कारणोंपर सहमति है। पंजाबकी जाँचके परिणामोंमें जो अन्तर है वह सर्वथा मूलभूत नहीं है। वह अन्तर आंशिक रूपसे परिमाण और आंशिक रूपसे मूलभूत असहमतिका है। उपद्रवोंको दबानेके लिए और फौजी कानूनको अमल में लाने के लिए अपनाये गये कुछ तरीकोंकी दोनों रिपोर्टोंमें निन्दा की गई है। किन्तु दोनों रिपोर्टों में निन्दा करते हुए जो कठोरता बरती गई है उसकी मात्रामें विभिन्नता है। यह कथन विशेष रूपसे जलियाँवाला बाग में गोली चलानेकी निन्दापर लागू होता है। मुख्य मतभेदका सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा पंजाब में फौजी कानून लागू करनेसे सम्बद्ध है। जहाँ बहुमतका कहना था कि विद्रोहकी स्थिति वर्तमान थी, इसलिए फौजी कानूनका उपयोग आवश्यक या न्यायसंगत था, वहाँ अल्पमतका विचार था कि उपद्रव विद्रोहको सीमातक नहीं पहुँचे थे, इसलिए असैनिक अधिकारियोंका नियन्त्रण हटाये बिना या असैनिक शक्तिकी मददके अलावा अन्य रूपमें फौजके बुलाये बिना भी उपद्रव दब सकते थे और शान्ति व्यवस्था कायम की जा सकती थी।

६. इस अवस्था में रिपोर्टों में अपनाई गई व्यवस्थाको समझाना आसान होगा। बहुमतवाली रिपोर्ट के पहले सात अध्यायोंमें दिल्ली, बम्बई महाप्रान्त और पंजाबके अमृतसर, लाहौर, गुजरांवाला, गुजरात और लायलपुर जिलोंके उपद्रवोंका विवरण दिया गया है। प्रत्येक मामले में बहुमत संक्षेप में उपद्रवोंकी समीक्षा करता है, और उन्हें रोकने तथा व्यवस्था पुनः कायम करनेके लिए अपनाये गये तरीकोंके औचित्यपर अपने निष्कर्ष लिपिबद्ध करता है। अध्याय ८में उसने संचार साधनोंपर बड़े पैमाने में किये गये उन हमलों का विवरण दिया है जिनका उपद्रवोंके सामान्य स्वरूपसे महत्वपूर्ण सम्बन्ध है। अध्याय ९में उसने उपद्रवोंके कारणकी चर्चा की है जिसमें पंजाबका विशेष रूपसे उल्लेख किया गया है। अध्याय १० में फौजी कानून लागू करनेकी अवस्थाओंका संक्षिप्त वर्णन है। अध्याय ११ में फौजी कानून लागू करने और जारी रखने के कारणोंपर विचार किया गया है, जब कि अध्याय १२ में फौजी कानूनके प्रशासनकी आलोचना की गई है।

अल्पमतवाली रिपोर्ट में अपनायी गई क्रमयोजना कुछ और ही ढंगकी है। अध्याय १में बताया गया है कि समितिके बहुमत के निष्कर्षोंसे किस हद तक अल्पमतकी सहमति या असहमति है। अध्याय २में उपद्रवोंके स्वरूप और कारणोंपर विचार किया गया है। अध्याय ३में पंजाब में फौजी कानून लागू करने व जारी रखनेके औचित्यपर विचार किया गया है। अध्याय ४में जलियाँवाला बागमें गोली चलानेका विवरण दिया गया है। अध्याय ५ में फौजी कानूनका अमल, अध्याय ६ में सशस्त्र रेलगाड़ियों व वायुयानोंके उपयोग और अध्याय ७में फौजी कानूनी अदालतोंकी कार्यविधिपर विचार किया गया है।

यद्यपि प्रारंभ में ही उपद्रवोंके कारण और स्वरूपके बारेमें समितिके निष्कर्षोंकी समीक्षा करना अधिक सुविधाजनक होता, फिर भी हम बहुमतवाली रिपोर्टकी सामान्य योजनासे अलग हटना नहीं चाहते, क्योंकि इस प्रकार अलग हटनेसे अल्पमतके निष्कर्षों-