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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
(४) माननीय पण्डित जगतनारायण, बी॰ ए॰, संयुक्त प्रान्तके लेफ्टिनेंट गवर्नरकी विधान परिषद् के सदस्य।
(५) माननीय श्री टामस स्मिथ, संयुक्त प्रान्तके लेफ्टिनेंट गवर्नरकी विधान परिषद् के सदस्य।
(६) सर चिमनलाल हरिलाल सीतलवाड, नाइट, बम्बई उच्च न्यायालय के वकील।
(७) सरदार साहबजादा सुलतान अहमदखाँ, मुंतजिमुद्दौला, एम॰ ए॰, एल॰ एल॰ एम॰, (कैन्टब), बार-एट-लॉ, अपील अदालतके सदस्य, ग्वालियर रियासत।

समितिने २९ अक्तूबर, १९१९ को अपनी बैठकें प्रारम्भ कीं और दिल्ली, लाहौर, अहमदाबाद, और बम्बई में गवाहियाँ लेने के बाद मार्च १९२० के प्रथम सप्ताहमें अपना काम समाप्त किया। उसी समय समितिकी रिपोर्ट भारत सरकारको दे दी गई।

समितिके निष्कर्षोंपर विचार करने से पूर्व हम जाँच, क्षेत्र, गवाही दर्ज करने में समिति द्वारा अपनाये गये तरीकों और उसके निष्कर्षोंके सामान्य स्वरूपके बारेमें कुछ प्रारम्भिक बातें बता देना चाहते हैं।

३. उपद्रवों और जाँच क्षेत्र के स्वरूपकी एक सामान्य झलक पानके लिए उपद्रवके मुख्य केन्द्रोंकी सम्बन्धित भौगोलिक स्थितिको संक्षेपमें समझाना और कालानुसार घटनाक्रम निर्देश करनेवाली महत्त्वपूर्ण तारीखोंका उल्लेख करना उपयोगी होगा। दिल्ली में—जो भारतकी राजधानी है और जो ऐतिहासिक तथा व्यावसायिक महत्त्वके कारण शेष उत्तर भारतके रुखको निश्चित करनेवाला एक अत्यन्त ठोस तत्त्व है—३० मार्चको सबसे पहले उपद्रव हुए। वे इस तरहके थे जिनके विरुद्ध व्यवस्था स्थापित करनेके उद्देश्यसे सेनाके उपयोगकी आवश्यकता हुई। किन्तु शान्ति स्थापित होनेसे पूर्व भीड़पर दो बार गोली चलाना जरूरी हो गया। १० अप्रैलको पंजाबमें अमृतसर तथा लाहौरमें और बम्बई महाप्रान्तमें अहमदाबादमें हिंसक उपद्रव हुए और बम्बई तथा कलकत्ता जैसी दूरस्थ जगहों में भी थोड़े-बहुत परिमाणमें अशान्ति स्पष्ट रूपसे दृष्टिगोचर हुई । लाहौर नगरकी जनसंख्या २३०,००० है; वह पंजाबकी राजधानी है। अमृतसर की जनसंख्या १,५०,००० से अधिक है और वह व्यावसायिक दृष्टिसे एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण नगर है। अहमदाबादकी जनसंख्या मोटे तौरपर २,८०,००० है; यह औद्योगिक नगर है और यहाँ ७८ मिलें हैं। दिल्लीसे लाहौर, अमृतसर और अहमदाबादकी दूरी, मोटे तौरपर क्रमशः ३००, २८० तथा ५४० मील है। १० अप्रैल के बाद पंजाब में हालत तेजी से बिगड़ी और १५ अप्रैलको लाहौर और अमृतसर जिलोंमें फौजी कानूनकी घोषणा कर दी गई और उसके बाद शीघ्र ही अन्य तीन जिलोंमें भी। इसके लगभग दो सप्ताह बाद सीमान्तपर तूफानी बादल घिर आये और ४ मईको अफगान युद्धके लिए लामबन्दी शुरू हो गई। इससे पंजाबकी सामान्य स्थिति- पर गहरा असर पड़ा और इसलिए सभी सम्बन्धित जिलोंसे १२ जूनसे पहले और रेलवे स्थलोंसे इसके बादतक फौजी कानून उठाना सम्भव नहीं पाया गया। संक्षेपमें